पिछले कुछ वर्षों से आवश्यक सामग्रियों की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। बढ़ी कीमतें वापस तो नहीं हो रही है, बल्कि उसमें और इजाफा ही होते जा रहा है। बढ़ती महंगाई के कारण गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों को जीवन दूभर हो गया है। रसोई खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। 2020 में शुरू हुए कोरोना काल से लेकर अब तक लाखों लोगों की नौकरियां चली गई। छोटे उद्यमियों एवं मजदूरी करने वाले लोगों का धंधा चौपट हो गया है। इधर एलपीजी गैस का दाम पिछले दो-तीन वर्षों के दौरान दुगुना हो गया है। निर्माण कार्य में उपयोग में आने वाली वस्तुओं की कीमतों में भी तेजी से वृद्धि हुई है। महंगाई की मार झेल रहे लोगों के लिए सरकार ने पैकेट वाले आवश्यक खाद्य सामग्रियों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाकर रही सही कसर पूरी कर दी है। सरकार के इस फैसले के बाद संसद से लेकर सडक़ तक इसका विरोध हो रहा है। पिछले तीन दिनों से संसद के दोनों सदनों लोकसभा तथा राज्यसभा में महंगाई एवं कई जरूरी खाद्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाये जाने के विरोध में हंगामा हो रहा है। हंगामे कारण सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। विपक्षी सांसद महंगाई एवं जीएसटी लगाए जाने के मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अस्वस्थ होने के कारण चर्चा को टाल रही है। विपक्षी दल कांग्रेस ने राहुल गांधी के नेतृत्व में महंगाई के खिलाफ बुधवार को संसद भवन परिसर में धरना दिया। विपक्षी सांसदों ने ‘दूध-दही पर जीएसटी वापस लो’ के नारे भी लगाए। मालूम हो जीएसटी परिषद के फैसले लागू होने के बाद सोमवार से कई वस्तुएं महंगी हो गई हैं। अब पैक एवं लेबल वाले खाद्य पदार्थ जैसे- आटा, पनीर, दूध-दही, चावल, दाल आदि जैसे आवश्यक खाद्य सामग्रियों पर उपभोक्ताओं 5 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। अगर सरकार वास्तव में गरीबों का कल्याण चाहती है तो उसे आवश्यक खाद्य सामग्रियों पर लगने वाला 5 प्रतिशत जीएसटी हटाना चाहिए। इससे आम आदमी का जीवन दूभर हो गया है। कोरोना के बाद लोगों की पहले ही हालत खराब है। ऐसी स्थिति में उन पर और अधिक बोझ देना सही नहीं है। सरकार ने चिकित्सा में आने वाले उपकरणों को भी नहीं छोड़ा है। देश में लगभग 800 दवाओं की कीमतें पहले ही 80 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। अब जीएसटी लगने के बाद कीमतों में और वृद्धि होगी, जिससे आम आदमी इलाज करवाना मुश्किल हो जाएगा। सरकार का कहना है कि 25 किलो के पैकेट से कम वाले खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगेगा। देश की बड़ी आबादी छोटे-छोटे पैकेट ही खरीदती है। दही, मक्खन, दूध, पनीर, आटा, लस्सी, दलिया, शहद आदि चीजें कम वजन के पैकेट में ही बिकती है। सरकार को इन चीजों पर निश्चित रूप से गौर करना चाहिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस मामले में हस्तक्षेप कर गरीब एवं मध्यम वर्ग को न्याय दिलाने के लिए आगे आना चाहिए। वैसे भी नौकरीपेशा वाले मध्यम वर्ग के लोग सरकार को चौतरफा टैक्स देते-देते परेशान हो गए हैं। मध्यम वर्ग का कहना है कि सरकार की नीति के कारण हमलोग ज्यादा परेशान रहे हैं, जबकि सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं मिल रहा है। केंद्र सरकार कहना है कि उन्होंने यह फैसला राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया है। फैसला चाहे केंद्र सरकार ले या राज्य सरकार महंगाई के मुद्दे पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने की जरूरत है। बेकाबू होती महंगाई के बीच गरीब एवं मध्यम वर्ग को बचाने की जरूरत है। और यही समय की मांग भी है।
बेकाबू होती महंगाई
