प्रथम आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू अब देश की राष्ट्रपति बन चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने 25 जुलाई को संसद के केंद्रीय हॉल में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद 15वेंं राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई। शपथ ग्रहण समारोह में दो पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रतिभा पाटिल, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित केंद्र सरकार के कई मंत्री एवं विशिष्ट अतिथि मौजूद थे। हरे लाल रंग की बोर्डर वाली सफेद रंग की साड़ी पहनी श्रीमती मुर्मू ने सादगी के साथ शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचीं। शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महात्मा गांधी की समाधि स्थल पर पहुंच कर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। संसद भवन से पारंपरिक रूप से उनको राष्ट्रपति भवन तक ले जाया गया। मालूम हो कि प्रतिभा पाटिल के बाद श्रीमती मुर्मू दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, किंतु आदिवासी समुदाय से इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। अपने 18 मिनट के संबोधन में उन्होंने अपने भविष्य के कामकाज की रूप-रेखा प्रस्तुत की। उनका कहना है कि वह देश के गरीबों से लेकर युवाओं एवं महिलाओं के हितों का विशेष ध्यान रखेंगी। युवाओं एवं महिलाओं के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। भारतीय लोकतंत्र की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश जहां गरीब भी सपने देख सकते हैं और उसे पूरा कर सकते हैं। लोकतंत्र की जननी भारत की यही महानता है। इस संदर्भ में उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि एक शिक्षक के रूप में अपनी जीवन-यात्रा शुरू करने वाली एक साधारण महिला देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच चुकी है। उनके जीवन में संत अरविंद घोष के सिद्धांतों एवं बिरसा मुंडा के बलिदान का काफी प्रभाव रहा है। मालूम हो कि उन्होंने अपना शिक्षक जीवन रायरंगपुर में श्री अरविंद इंटीग्रल स्कूल से शुरू किया था। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारत विविधताओं से भरा देश है। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर हम सभी को एक भारत, श्रेष्ठ भारत के लिए काम करना होगा, तभी जाकर स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को पूरा किया जा सकेगा। इस संदर्भ में उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, बाबा साहब अंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद आदि का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने महिला शक्ति को भी जिक्र किया। इस संदर्भ में उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू, रानी चन्नम्मा के भी योगदानों को याद किया। मालूम हो कि राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की तरफ से उम्मीदवार थीं, जबकि विपक्ष की तरफ से पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा मैदान में थे। इसके लिए 18 जुलाई को मतदान हुआ था। जिसका परिणाम 21 जुलाई को घोषित किया गया। श्रीमती मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी श्री सिन्हा को भारी मतों के अंतर से पराजित किया था। इनके व्यक्तित्व को देखकर अनेक विपक्षी पार्टी के सांसदों एवं विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर इनका समर्थन किया था। देश इस समय आंतरिक एवं बाहरी दोनों स्तर पर बड़ी चुनौतियों से गुजर रहा है। देश में विभाजनकारी ताकतें देश को कमजोर करने में लगी हुई हैं। कोरोना एक बार फिर बढऩे लगा है। बाहरी ताकतें भी भारत को कमजोर करने के लिए सक्रिय हैं। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से सीमा पर लगातार चुनौती मिल रही है। एलएसी पर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन लगातार घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है। दोनों देशों की सेनाएं पिछले दो वर्षों से आमने-सामने खड़ी हैं। चालबाज चीन अपनी विस्तारवादी नीति के तहत भारत की जमीन हड़पने की कोशिश में है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व भारत की सेना चीन का माकूल जवाब दे रही है। भारत के आसपास के देशों में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। कोरोना काल के बाद दुनिया के देशों को आर्थिक संकट के गुजरना पड़ रहा है। ऐसी विषम परिस्थिति में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेवारी है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को उनकी सलाह की जरूरत होगी।
महामहिम द्रौपदी मुर्मू
