चीन अपने पड़ोसी देशों के साथ लगातार आक्रामकता एवं दादागिरी पर उतर आया है। एक तरफ वह ताइवान को हड़पने के लिए आए दिन धमकाता रहता है, तो दूसरी तरफ एलएसी पर भारतीय जमीन को हड़पने के लिए लगातार हथकंडे अपनाता रहा है। भारत और चीन के बीच कमांडर स्तर की सोलह राउंड की वार्ता होने के बावजूद सीमा-समस्या जस की तस बनी हुई है। एक तरफ चीन भारत के साथ शांति-वार्ता करने की बात कहता है तो दूसरी तरफ वह षड्ïयंत्र रचने से पीछे भी नहीं हट रहा है। कमांडर स्तर की वार्ता के तुरंत बाद चीन के विमानों ने एलएसी के प्रतिबंधित क्षेत्र में उड़ान भरकर भारत को धमकाने का भरसक प्रयास किया है। शुरू से ही चीन की यह नीति रही है कि वह वार्ता से पहले या वार्ता के दौरान बात करने वाले देश के खिलाफ आक्रामकता दिखाता है, ताकि वह देश बातचीत की मेज पर चीन की शर्त मानने को मजबूर हो सके। चीन के जे-10, जे-11 एवं जे-20 विमानों ने प्रतिबंधित क्षेत्रों में उड़ान भरकर दबाव बढ़ाने की कोशिश की थी। नरेन्द्र मोदी सरकार चीन के किसी भी गुस्ताखी का जवाब देने में सक्षम है। प्रधानमंत्री ने नौसेना के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा है कि भारत चीन से हर गुस्ताखी का माकूल जवाब देगा तथा अपने जवानों को ऐसे हथियारों से सुसज्जित करेगा जिसके बारे में दुश्मन देश सोचे भी नहीं होंगे। गलवान घाटी में चीन सैनिकों द्वारा की गई धोखाधड़ी के बाद भारत चीन के साथ लगने वाली सीमा पर पूरी तरह अलर्ट है। मिराज-2000, मिग-29, सुखोई-एमकेआई तथा रफाल जैसे विमान लगातार अलर्ट मोड में हैं। इसके अलावा आधुनिकतम मिसाइल डिफेंस सिस्टम एस-400 की तैनाती भी शुरू हो गई है। ऐसा लगता है कि चीन भारत के प्रतिबंधित क्षेत्र में अपने लड़ाकू विमानों की उड़ान भरवा कर भारत की तैयारियों एवं जवाबी शक्ति का आंकलन करना चाहता है। भारत चीन की इस कार्रवाई से पूरी तरह वाकिफ है। हाल ही में केंद्र सरकार ने सशस्त्र ड्रोन, कार्बाइन, बुलेट प्रूफ जैकेट, तेजगति की जहाज आदि की खरीद के लिए 28,732 करोड़ रुपए आवंटित किया है। एलएसी पर बुनियादी ढांचे के विकास एवं संचार नेटवर्क को विकसित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। भारत ने अमरीका, जापान व आस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ मिलकर क्वाड संगठन का गठन किया है, ताकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरा जा सके। हाल ही में इन चार देशों के साथ हुई मीटिंग में इस बारे में व्यापक रणनीति तैयार की गई है। दूसरी तरफ भारत और अमरीका ने मिलकर एक और संगठन आई2यू2 का गठन किया है, जिसमें इजरायल एवं संयुक्त अरब अमीरात को शामिल किया गया है। ये चारों देश भी चीन की विस्तारवादी नीति को रोकने के लिए काम करेंगे। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवारी में सबसे आगे चल रहे ऋषि सुनक ने भी चीन पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद वे चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेंगे। उनका कहना है कि चीन में चल रहे अनेक शैक्षणिक संस्थान वहां की सरकार के लिए जासूसी करते हैं, जिनको बंद करने के लिए कदम उठाया जाएगा। चीन की नौसेना दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है, जिसकी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए भारत अमरीका, जापान एवं फ्रांस जैसे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है। आंतरिक मोर्चे पर भी चीन को काफी चुनौती मिल रही है, जिसको देखते हुए वह भारत की सीमा पर आक्रामक रुख अपनाए हुए है। इसका उद्देश्य चीन की जनता का ध्यान मुख्य मुद्दे से भटकाना है। यह सबको मालूम है कि ताइवान के साथ चीन का लगातार टकराव चल रहा है। ताइवान चीन का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह तैयार है। अमरीका का सातवां बेड़ा तथा अन्य युद्धपोत दक्षिण एवं पूर्वी चीन सागर में तैनात है। उस क्षेत्र में भी चीन और अमरीका के बीच तनाव चरम पर है। चीन केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य कई देशों के लिए भी खतरा बना हुआ है। चीन युद्धाभ्यास का वीडियो जारी कर पड़ोसी देशों को धमकाने का काम करता है। लेकिन चीन को मालूम होना चाहिए कि आज का भारत चीन को करारा जवाब देने में सक्षम है। भारतीय सेना चीन को जिस तरह जवाब दे रही है वह काबिलेतारीफ है।
चीन की आक्रामकता
