भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा के हमले का सामना कर रही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर राजनीतिक हित साधने की पूरी कोशिश की है। पश्चिम बंगाल के पूर्व उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री पार्थ चटर्जी के शिक्षक भर्ती घोटाले में शामिल होने तथा उनके नजदीकी अर्पिता मुखर्जी के घर से 50 करोड़ से अधिक रुपए कैश एवं सोने के आभूषण बरामद होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सवाल उठने लगे हैं। भाजपा सहित कुछ राजनीतिक पार्टियों का कहना है कि मुख्यमंत्री की जानकारी के बिना इतना बड़ा भ्रष्टाचार कैसे हुआ? पार्थ चटर्जी की हैसियत ममता सरकार में दूसरे नंबर पर थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पार्थ चटर्जी एवं उनके महिला मित्रों के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। अर्पिता 12 फर्जी कंपनियां चला रही हैं जिसकी जांच ईडी कर रही है। हालांकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बयान देकर इस पूरे मामले से अपने को भरसक अलग रखने का प्रयास किया है। ममता का कहना है कि अगर पार्थ चटर्जी दोषी हैं तो सरकार कानून के रास्ते में कोई बाधा नहीं डालेगी। इसी बीच ममता बनर्जी ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर भाजपा को राजनीतिक झटका देने की कोशिश की है। मुख्यमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल में कुल नौ मंत्रियों को शामिल की है, जिसमें भाजपा से आए पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो शामिल हैं। राज्यपाल ला गणेशन ने कुल नौ विधायकों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। टीएमसी के सत्ता में आने के बाद यह सबसे बड़ा फेरबदल है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मंत्रिमंडल में शामिल सभी नौ मंत्री ऐसे विधानसभा क्षेत्र से जीत कर आए हैं जिस क्षेत्र का सांसद भाजपा का है। बाबुल सुप्रियो इस बार बालीगंज से टीएमसी के टिकट पर उपचुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री ने सुप्रियो को मंत्री बनाकर राजनीतिक हित साधने की कोशिश की है। पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बाबुल सुप्रियो भाजपा के पोस्टर ब्वाय बने हुए थे। भाजपा ने पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान सुप्रियो को चेहरा बनाया था, लेकिन वे चुनाव हार गए। इसके बाद सुप्रियो ने अपना पाला बदल कर टीएमसी का दामन थाम लिया और टीएमसी के टिकट पर उपचुनाव जीत गए। ममता अगले लोकसभा चुनाव में बाबुल सुप्रियो का फायदा उठाना चाहती है। बाबुल सुप्रियो का उत्तरपाड़ा संसदीय क्षेत्र में अच्छा प्रभाव है। इसी तरह मंत्रिमंडल में शामिल स्नेहाशीष चक्रवर्ती, पार्थ भौमिक, उदयन गुहा, प्रदीप मजुमदार, तजमुल हुसैन, सत्यजीत बर्मन, बीरबाहा हंसदा एवं विप्लव राय भी ऐसे क्षेत्र से जीत कर आए हैं, जिस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के सांसद हैं। ममता ने इन सभी नौ मंत्रियों को उनके क्षेत्र में आने वाले लोकसभा क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेवारी सौंप दी है। इन नेताओं से कहा गया है कि वे अपने दायित्वों का पालन करने के लिए अभी से पहल शुरू कर दें। मुख्यमंत्री ने ऐसा कदम उठाकर एक बड़ा दाव खेला है। मालूम हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए लोकसभा की 18 सीटों पर कब्जा किया था, जबकि 22 सीट तृणमूल कांग्रेस के खाते में गई थी। ममता बनर्जी वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष का उम्मीदवार बनना चाहती हैं। इसके लिए ममता ने पहल भी शुरू कर दी है। लेकिन कांग्रेस ममता को विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में देखना नहीं चाहती है। कांग्रेस इसके लिए राहुल गांधी को अपना उम्मीदवार मानती है। राष्ट्रपति के चुनाव के वक्त भी विपक्ष मोदी की चाल के सामने धराशायी हो गया था। भाजपा समर्थित उम्मीदवार को कई विपक्षी दलों की ओर से भी अच्छा समर्थन मिला था। ईडी की पहल के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति गरम हो गई है। भाजपा और ममता एक-दूसरे के मोहरे को पिटने में लगी है। ईडी की जांच का परिणाम पश्चिम की राजनीतिक की दिशा तय करेगी।
ममता मंत्रिमंडल का विस्तार
