विधानसभा के अंतिम चरण के चुनाव में कोरोना प्रोटोकॉल का नहीं दिखा असर, दो गज की दूरी व्यर्थ साबित हुआ। वहीं मतदातओं का कहना है कि जनता के लिए कानून तथा मंत्री व नेता के लिए कोई कानून नहीं, यह कहां का नियम व न्याय है। चुनावी मौसम में नेता जो कुछ भी करे वह सही, परंतु जनता वहीं करे तो गलत यह कैसा कानून है। विस चुनाव के अंतिम दिन चुनाव प्रशासन की ओर से मतदान केंद्र पर कोरोना प्रोटोकॉल की व्यवस्था की गई थी। प्रशासन की ओर से बिना मास्क वाले मतदाताओं को मास्क के साथ ही सभी को एक हाथ में पहननेवाला सिंगल यूज (प्लास्टिक) का मास्क प्रदान किया जा रहा था। इसके साथ ही हैंड सैनिटाइजर की भी व्यवस्था थी। यहां तक तो ठिक था परंतु सामाजिक दूरी का पालन नही होने के कारण कोरोना प्रोटोकॉल विफल साबित हुआ। कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए नगर के कई मतदान केंद्रों पर दो गज की दूरी का पालन करने के लिए गोलाकार सर्किल बनाया गया था। परंतु मतदाता इसे नजरअंदाज करते दिखे। वहीं मतदान केंद्र पर सामाजिक दूरी का पालन नही करनेवाले कई मतदताओं का कहना है कि सरकार, मंत्री, नेता व पुलिस प्रशासन तथा जिला प्रशासन जो करे वह सही तथा जनता करें जो गलत यह कहा का कानून है। जब देश की जनता के लिए समान अधिकार व कानून है तो कोराना प्रोटोकॉल के नाम पर मंत्री, नेता व जनता के बीच विभेद क्यों? कई मतदाताओं का कहना है कि हाल ही में चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी पार्टी के नेता ने कोरोना प्रोटोकॉल के किसी भी नियम का पालन नहीं किया। उनके सभा में मंच पर अधिकाधिक लोग होने के साथ ही सभा में हजारों की संख्या में जनता होती था। इस दौरान न तो नेताओं के मुंह पर मास्क था, ना ही ग्लोब्स दो गज की दूरी का तो बात ही छोड़ दीजिए। चुनावी मौसम में नेता जो कुछ भी करे वह सही परंतु जनता वही करे तो गलत यह कैसा कानून है।
कोविड प्रोटोकॉल पर मतदाताओं ने कहा-नेता करे तो सही, जनता करे तो गलत
