इन दिनों राहुल गांधी भारत जोड़ो अभियान पर हैं। दूसरी ओर कई कांग्रेसी पार्टी छोड़ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लगातार निशाने पर ले रही है। इस अभियान पर जितनी नजर कांग्रेसियों की नहीं है,उनसे ज्यादा भाजपाइयों की भी है। इस यात्रा पर हर दिन किसी ना किसी मुद्दे पर भाजपा विपक्षी कांग्रेस को घेर रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के कई नेता यात्रा पर भाजपा की टिप्पणी से खुश हैं। आखिर भाजपा के निशाने पर लेने से कांग्रेस को क्या फायदा हो रहा है। यात्रा के दौरान भारी संख्या में लोग आ रहे हैं। बहुत सारे लोग राहुल गांधी की एक झलक पाने के लिए बेताब दिख रहे हंै। कुछ फोटो खिंचवा रहे हैं तो कुछ कांग्रेस के समर्थन में और कुछ मोदी सरकार के खिलाफ में नारेबाजी से भी बाज नहीं आ रहे हैं। कांग्रेसियों का मानना है कि भाजपा जितने हमले कांग्रेस पर करती है उससे हमें कांग्रेस की विचारधारा और तमाम मुद्दों को जनता के सामने रखने का मौका मिलता है। लोग इसकी चर्चा करते हैं और उन्हें सही और गलत के बीच का फर्क मालूम पड़ता है। उनका मानना है कि भाजपा ने हमारी इस यात्रा को काफी प्रचारित करने का काम किया है। लोगों को कम से कम मालूम तो चल रहा है कि कांग्रेस इस तरह से देश के लोगों को जोड़ने के लिए यात्रा निकाल रही है। भाजपा भले सोच रही है कि वह हमारा नुकसान कर रही है,लेकिन हकीकत ये है कि वह हमारा फायदा ही कर रही है। दूसरी ओर जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा को लोगों का समर्थन मिल रहा है,उससे हमारे कार्यकर्ता और नेता सभी उत्साहित हैं। 150 दिन की यह यात्रा पूरी होने के बाद पश्चिम से पूर्वी भारत तक नई यात्रा निकाली जा रही है। इसमें नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों को शामिल किया जाएगा। अभी जो राज्य छूट रहे हैं,उन्हें भी इसमें शामिल करने की कोशिश की जा रही है। इसी कड़ी में पहली नवंबर से धुबड़ी से सदिया तक भारत जोड़ो अभियान,असम शुरू होगा, जिसके दौरान 800 किलोमीटर तक पदयात्रा की जाएगी, जिसमें पार्टी के केंद्रीय नेता सहित असम प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेतागण भाग लेंगे। अभी जो रणनीति अपनाई जा रही है, उसके अनुसार ये यात्रा दो तरफ से निकलेगी। एक तरफ की कमान खुद राहुल गांधी संभालेंगे तो दूसरे तरफ से प्रियंका गांधी यात्रा का नेतृत्व करेंगी। दूसरी ओर कांग्रेसी मान रहे हैं कि जब भी कुछ बड़ा होता है, उसको लेकर परिवार में अलग-अलग विचार भी होते हैं। इसी तरह इस यात्रा को लेकर भी पार्टी में सबके अलग-अलग विचार हैं। बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता इस यात्रा के साथ हैं। कुछ नेताओं का कहना था कि अभी गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव पर फोकस करना चाहिए। वह भी गलत नहीं हैं। उनकी सोच भी पार्टी के हित में ही है। ऐसे नेताओं को हमने बता दिया है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव को लेकर भी हमारी पूरी तैयारी है। तय कार्यक्रम के अनुसार ही ये सब हो रहा है। यह पदयात्रा 12 राज्यों से गुजरेगी। 3,570 किलोमीटर लंबी इस यात्रा का समापन जम्मू-कश्मीर में होगा। यात्रा 12 राज्यों के 20 शहरों से होकर गुजरेगी। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा, केरल के तिरुवनंतपुरम, कोच्चि और नीलाम्बुर जाएगी। इसके बाद कर्नाटक के मैसूर, बेल्लारी, रायचुर, तेलंगाना के विकाराबाद, महाराष्ट्र के नांदेड़, जलगांव जामोद, मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचेगी। यहां से यात्रा राजस्थान के कोटा, दौसा, अलवर, उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर, दिल्ली, हरियाणा के अंबाला, पंजाब के पठानकोट होते हुए जम्मू होते हुए श्रीनगर पहुंचेगी। जहां यात्रा का समापन होगा। इस राष्ट्रव्यापी यात्रा का मुख्य उद्देश्य देश को एकजुट करना है। यात्रा की वेबसाइट कहती है कि इस यात्रा का उद्देश्य देश को एकजुट करना, लोगों को एक साथ लाना और देश को मजबूत करना है। उल्लेखनीय है कि इस दौरान गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने हैं। दिलचस्प यह है कि 12 राज्यों से गुजरने वाली यह यात्रा इन दोनों चुनावी राज्यों से होकर नहीं जाएगी। बिहार, बंगाल जैसे राज्यों से होकर भी यात्रा नहीं गुजरेगी। यहां तक कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में भी यात्रा का पड़ाव बहुत छोटा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस यात्रा का ऐतिहासिक महत्व है, परंतु यह कांग्रेस के लिए कितनी संजीवनी साबित होगी, यह आने वाला समय ही बताएगा।
भारत जोड़ो अभियान और भाजपा
