भारत में हाल ही में कई राज्यों में बच्चों को खसरा हो जाने के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है। यह सबसे संक्रामक मानव विषाणुओं में से एक है, जिससे वैक्सीन की मदद से पूरी तरह बचा जा सकता है। हालांकि, कम्यूनिटी ऑउटब्रेक से बचने के लिए 95 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगी होनी चाहिए। साल 2021 में विश्वभर में 90 लाख खसरा के संक्रमण थे और इससे एक लाख 28 हजार मौतें हुई थीं। टीकाकरण में निरंतर गिरावट, कमजोर रोग निगरानी और कोविड-19 के कारण प्रतिक्रिया योजनाओं में देर और 20 से अधिक देशों में चल रहे प्रकोप का मतलब है कि दुनिया के हर क्षेत्र में खसरा बड़ा खतरा है। खसरा काफी खतरनाक होता है। खसरे की शुरुआत तेज बुखार, खांसी, नाक बहने और आंखों से पानी बहने और लाल होने से होती है। लक्षणों के शुरू होने के दो से तीन दिन बाद मुंह के अंदर सफेद रंग के स्पॉट्स आने लगते हैं। लक्षण शुरू होने के तीन से पांच दिनों के बाद बदन पर लाल चकत्ते होने शुरू हो जाते हैं। यह उभरे हुए नहीं होते और सबसे पहले चेहरे पर दिखते हैं, इसके बाद गर्दन, सीने, हाथों और पैरों पर फैल जाते हैं। कुछ चक्कत्ते उभरे हुए भी हो सकते हैं। 2021 में भारत समेत कई देशों में चार करोड़ बच्चों को खसरे के टीके की खुराक नहीं मिली। भारत में महाराष्ट्र विशेष रूप से इस समय खसरे के प्रकोप से जूझ रहा है। मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में पिछले एक महीने में 13 बच्चों की खसरे से मौत हो चुकी है। महाराष्ट्र के अलावा बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और केरल में भी मामलों की संख्या के बढ़ने की खबरें हैं। राज्य सरकारें औरकेंद्र सरकार चिंतित हैं और रोकथाम के कदम तुरंत शुरू करने की तैयारी की जा रही है, लेकिन अब सामने आया है कि यह सिर्फ भारत की समस्या नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में खसरे के मामलों में बढ़ोतरी की समस्या मुंह बाए खड़ी है। 2021 में पूरी दुनिया में करीब चार करोड़ बच्चों को खसरे के खिलाफ दिए जाने वाले टीके की खुराक नहीं मिली। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमरीका की सीडीसी की ओर से संयुक्त रूप से जारी की गई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 2.5 करोड़ बच्चों को पहली खुराक नहीं मिली और करीब 1.47 करोड़ बच्चों को दूसरी खुराक नहीं मिली। कोविड-19 महामारी की वजह से स्वास्थ्य व्यवस्था में जो उथल-पुथल हुई उसके असर के रूप में टीकाकरण का स्तर अभी भी पहले जैसे नहीं हो पाया है। यह गिरावट खसरे को दुनिया से जड़ से मिटाने के प्रयासों के लिए एक बड़ा धक्का है। यह कैसी विडंबना है कि जहां कोविड के खिलाफ तो टीके रिकॉर्ड समय में बना लिए गए और दे भी दिए गए, वहीं आम टीकाकरण कार्यक्रमों पर बुरा असर पड़ा और करोड़ों लोगों के लिए जोखिम खड़ा हो गया। भारत में इस समस्या का काफी व्यापक असर हुआ है। अकेले मुंबई में पिछले दो महीनों में 200 से भी ज्यादा मामले सामने आए। यह पिछले कुछ सालों में सामने आने वाले मामलों के मुकाबले एक बड़ी उछाल है। मुंबई में 2021 में 10 मामले आए थे और एक पीड़ित की मृत्यु हो गई थी। 2020 में मामले तो 29 आए थे लेकिन मौत एक भी नहीं हुई थी और 2019 में 37 मामले और तीन पीड़ितों की मौत हो गई थी। भारत में राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत खसरे का टीका हर बच्चे को दो खुराकों में देना होता है। पहली खुराक नौ महीनों की उम्र में और दूसरी 15 महीनों की उम्र में दी जानी चाहिए। अधिकारियों ने माना है कि कोविड की वजह से टीकाकरण पर असर पड़ा है। अकेले मुंबई में करीब 20,000 बच्चों को खसरे का टीका नहीं दिया जा सका। अगर टीका सही समय पर दे दिया जाए तो खसरे को लगभग पूरी तरह से होने से रोका जा सकता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यदि कोई बच्चा इससे पीड़ित हो जाता है तो उसका सही ढंग से इलाज करवाना चाहिए। कारण कि जरा-सी लापरवाही खतरनाक साबित हो सकती है।
चिंता की बात
