विभिन्न शिक्षण संस्थानों में पुराने विद्यार्थियों द्वारा नए विद्यार्थियों का रैगिंग करने की खबर आती रहती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से रैगिंग का तरीका खतरनाक होता जा रहा है। नए छात्रों से परिचय के नाम पर उसके साथ शर्मनाक हरकत की जाती है जो क्षम्य नहीं है। हाल ही में डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय में रैगिंग का मामला सामने आने के बाद इस विषय पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। विद्यार्थियों के अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है। रैगिंग से पीड़ित छात्र-छात्राएं डर के मारे मुंह नहीं खोलते हैं और अत्याचार बर्दाश्त करते रहते हैं। लेकिन यह अत्याचार कभी-कभी इतना घिनौना और डरावना हो जाता है कि लड़के या लड़कियों को सख्त फैसला लेने पर विवश होना पड़ता है। डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के छात्र आनंद शर्मा ने अपने वरिष्ठ छात्रों की रैगिंग से तंग आकर पद्मनाथ गोहाईं छात्रावास (पीएनजीबी) की दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर अपनी जान बचाने की कोशिश की। इस दौरान वह गंभीर रूप से घायल हो गया जिसका इलाज चल रहा है। इस घटना ने असम सरकार को झकझोर कर रख दिया। ईश्वर का शुक्र है कि उसकी जान बच गई, अन्यथा स्थिति और भयावह हो सकती थी। मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई तथा दोषियों के खिलाख सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। सिलचर में हुए कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के प्रशासन को भी जांच के दायरे में लाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार परमानंद सोनोवाल ने तत्काल संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर बताया कि इस घटना में लिप्त चार छात्रों को बहिष्कृृत कर दिया गया है। ये छात्र अब देश के किसी भी विश्वविद्यालय में अगले तीन वर्ष तक दाखिला नहीं ले सकेंगे। प्रशासन ने अपनी ड्यूटी में लापरवाही के लिए पीएनजीबी छात्रावास के तीनों वार्डनों को निलंबित कर दिया है। आगे की कार्यवाही के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिवसागर कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रिंसिपल कार्तिक चंद्र दत्त की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एंटी रैगिंग कमेटी का गठन कर दिया है। शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया है। पेगू ने कहा है कि रैगिंग से पीड़ित छात्र के इलाज का खर्च डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय प्रशासन उठा रहा है। मालूम हो कि रैगिंग से परेशान आनंद शर्मा मानसिक एवं शारीरिक दोनों ही रूप से टूट चुका था। जब वह प्रशासन को इसकी शिकायत करने जा रहा था उसी वक्त वरिष्ठ छात्रों ने उसके साथ मारपीट की और फटकार लगाया था। यह केवल डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दूसरे शिक्षण संस्थानों खासकर मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में भी रैगिंग होता रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि विश्वविद्यालय का कॉलेज प्रशासन जानकारी होने के बावजूद इस तरह की घटनाओं को नजरअंदाज करता रहा है। आनंद शर्मा मामले में इसी तरह की बात हुई है। इस छात्र के अभिभावकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस बारे में सूचित किया था, किंतु प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह भी खबर है कि विश्वविद्यालय के हॉस्टल में कई पूर्व छात्र भी रहते हैं, जिनका पढ़ाई से कोई वास्ता नहीं है। लेकिन प्रशासन की तरफ से वैसे लोगों को बाहर निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता है। इस तरह के छात्र ज्यादातर रैगिंग की घटना में शामिल रहते हैं। विश्वविद्यालय एवं कॉलेज के वार्डन के ऊपर भी बड़ी जिम्मेवारी होती है। उनको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उस हॉस्टल परिसर में रैगिंग की घटनाएं नहीं हो। मुख्यमंत्री के कड़े निर्देश के बाद डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम से राज्य के दूसरे शिक्षण संस्थानों में एक सकारात्मक संदेश जाएगा। राज्य के दूसरे शिक्षण संस्थानों के प्रशासन को भी रैगिंग रोकने के लिए अपने यहां कदम उठाना चाहिए। सरकार का भी यह दायित्व है कि ऐसे शिक्षण संस्थानों पर नजर रखे।