नगांवः सांस्कृतिक गोष्ठी कल्लोल के तत्वावधान में आज से पुस्तक मेला आरंभ हो गया। असम साहित्य सभा के अध्यक्ष कुलधर सैकिया ने दीप प्रज्ज्वलित कर पुस्तक मेले का शुभारंभ किया। गुनजीत देव गोस्वामी ने सभी का स्वागत किया। कल्लोल के सचिव नौसाद अख्तर हजारिका ने उद्देश्य व्याख्या की। श्रीमंत शंकरदेव विश्वविद्यालय के उपाचार्य डॉ. मृदुल हजारिका ने कहा कि पुस्तक मेला के माध्यम से हमें ज्ञान के भंडार की ओर बढ़ने का अवसर प्राप्त होता है। पुस्तक के अध्ययन से ज्ञान का विकास होता है। उन्होंने कहा कि पुस्तक पढ़ने का ग्राफ तेजी से कम हो रहा है, इसकी वजह है टेक्नोलॉजी तकनीक की जनप्रियता। आज के दिन कंप्यूटर में बटन दबाने के साथ ही सारा तथ्य सामने आ जाता है। लेकिन अध्ययन करने से पुस्तक की उपयोगिता का पता चलता है। आज पढ़ने की साक्षरता की क्वालिटी बढ़ी है। युवा पीढ़ी को पढ़ने की आदत डालने के लिए पुस्तक मेला जैसा आयोजन मददगार साबित होता है। इस दौरान जिला उपायुक्त नरेंद्र शाह ने कहा कि पुस्तक का महत्व कभी भी कम नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि आईएएस की तैयारी करते वक्त पुस्तक का अध्ययन ही सफलता दिलाती है और मेरे जीवन में भी इसका प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि पुस्तक अपने-आप में एक महत्वपूर्ण विषय है, जो अध्ययन की सुंदरता में निखार लाती है। उक्त सभा के दौरान पुस्तक मेला की स्मारिका का असम साहित्य सभा के अध्यक्ष कुलधर सैकिया ने विमोचन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पुस्तक से भी ज्यादा नगांव के लोगों को मैं पसंद करता हूं। इस नगरी में पुस्तक पढ़ने के मामले में छात्र समाज आज भी दिलचस्पी लेता है। उन्होंने कहा कि घर में पढ़ने का माहौल बनाना चाहिए। असम साहित्य सभा के अध्यक्ष श्री सैकिया ने कहा कि पहले अभिभावकों द्वारा स्वयं पुस्तक पढ़ने की आदत डालने से ही बच्चे के अंदर भी पढ़ने की चाहत बढ़ेगी। पुरानी पुस्तक का डिजिटलाइलेशन भी होना चाहिए और इससे विश्वभर के लोग भी इंटरनेट के माध्यम से पढ़ने के साथ ही गवेषणात्मक काम भी कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि असम साहित्य सभा केवल म्यूजियम बनकर रहना नहीं चाहती बल्कि नए टेक्नोलॉजी के तहत काम करने के लिए अग्रसर है। उन्होंने कहा कि आज के दिन पुस्तक मेले का आयोजन अत्यंत जरूरी है। क्योंकि भावी युवा पीढ़ी पुस्तक का चयन कर अपनी मानसिकता का विकास कर सकती है। उन्होंने कहा कि लेखक को समझने की जरूरत है कि पाठक समाज किस तरह की पुस्तक पढ़ने की चाहत रखता है। उन्होंने कहा कि लंदन बुक फेयर में नया कौशल तैयार किया जाता है कि किस प्रकार की पुस्तक की आवश्यकता है और इसके संदर्भ में लेखक और प्रकाशक के बीच चर्चा करने के बाद पुस्तक प्रकाशित कर अगले पुस्तक मेले में वैसी ही किताबों को लाया जाता है। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि विश्वभर में असमिया भाषा के प्रचार-प्रसार में स्वयं ही अपने अधिकार का प्रयोग करने के मामले में गंभीर होना आवश्यक है।