गुजरात विधानसभा चुनाव में भारी जीत अर्जित  करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी एक बार फिर चुनावी मोड में हैं। त्रिपुरा और मेघालय दोनों राज्यों में अगले दो महीनों में चुनाव होने वाले हैं। ये दोनों चुनाव भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए मोदी की त्रिपुरा और मेघालय यात्रा को चुनावी शंखनाद के तौर पर देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 के शुरू में होने वाले इन चुनावों का असर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा, इसलिए भाजपा इन चुनावों को हल्के में नहीं ले रही है, जबकि दूसरी पार्टियों ने अब तक इसका आगाज भी नहीं किया। समझ से परे है कि आखिर क्यों देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस समय पर चुनाव तैयारी में क्यों नहीं लग रही है। गुजरात चुनाव में उसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) से बहुत बाद चुनावी मैदान में उतरी। परिणामतः  वह इस चुनाव को बुरी तरह से हार गई और उसकी हार में आप की भी अहम भूमिका रही। कांग्रेस को कमजोर होता देख कहीं आप तो कहीं टीएमसी या अन्य पार्टियां उसकी जगह लेने को लालायित दिख रही हैं। गुजरात में आप उसकी जगह तो नहीं ले पाई, परंतु भाजपा के सामने उसे धूलधुसरित करने में महती भूमिका निभाई। दूसरी ओर मेघालय और त्रिपुरा में  तृणमूल कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) की जगह लेने को तैयार बैठी है। त्रिपुरा की जंग को जीतने के लिए टीएमसी के महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पिछले एक-डेढ़ साल से प्रयासरत हैं तो दूसरी ओर मेघालय चुनाव को देखते हुए ममता बनर्जी ने हाल ही में मेघालय का दौरा किया और यहां आकर विधानसभा चुनाव को कैसे जीता जाए, इसकी रणनीति बनाई? परंतु चुनाव को लेकर कांग्रेस की ओर से कोई भी आवाज सामने नहीं आ रही है। इस बार भाजपा एक ओर त्रिपुरा में दूसरी बार सत्ता में आने के लिए लगातार मेहनत कर रही है तो दूसरी ओर मेघालय में अकेला चुनाव लड़ने की घोषणा कर मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा की चिंता बढ़ी दी है। कारण कि भाजपा के पास पूर्वोत्तर के चाणक्य के रूप में असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्वशर्मा हैं, जो पूर्वोत्तर के किसी भी राज्य में चुनावी हवा को अपने पक्ष में करने में माहिर माने जाते हैं। ऐसे में माना जा रहा कि अगले साल मेघालय और त्रिपुरा में होने वाले चुनाव काफी दिलचस्प होंगे। इसी कड़ी में रविवार को तवांग में भारत-चीन सेना के बीच झड़प के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर में मेघालय और त्रिपुरा पहुंचे। वे रविवार को शिलांग में नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल (एनईसी) के 50 साल पूरे होने पर गोल्डन जुबली कार्यक्रम में शामिल हुए। वे इस मौके पर मेघालय की ट्रेडिशनल ड्रेस पहनकर पहुंचे। दूसरी ओर पीएम मोदी ने त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में रोड शो भी किया। मोदी ने अगरतला में 4350 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। अगरतला में जनसभा को भी संबोधित किया। इस मौके पर दिया गया उनका भाषण पूरी तरह चुनावी और मतदाताओं को आकर्षित करने वाला था। इस दौरान उन्होंने  कहा कि अगरतला की धरती से दो लाख माताओं-बहनों को पक्के घर मिलने पर और लखपति बनने के लिए बधाई देता हूं। माणिक साहा सरकार राज्य में बहुत काम कर रही है। यहां हरेक को सर पर पक्की छत मिली है। इसलिए त्रिपुरा में हमें आशीर्वाद मिल रहा है। त्रिपुरा में डबल इंजन की सरकार है। इसके पहले पूर्वोत्तर की चर्चा केवल चुनाव होने या हिंसा होने पर होती थी। आज त्रिपुरा की चर्चा सफाई, विकास, गरीबों को घर मिलने और इंफ्रास्ट्रख्र के लिए हो रही है। त्रिपुरा छोटे राज्यों में सबसे स्वच्छ राज्य है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का पूरा फोकस अगले विधानसभा चुनावों पर था। ऐसे में कहा जा सकता है कि पीएम की इस यात्रा के बाद त्रिपुरा और मेघालय में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है, जो आने वाले दिनों में पूरे वातावरण को चुनावी बना देगा। A