चीन की सेना द्वारा पिछले 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र के यांगस्ते सेक्टर में की गई घुसपैठ की कोशिश का भारतीय सेना ने करारा जवाब दिया। चीनी सेना भारतीय पोस्ट को अपने कब्जे में लेने की कोशिश में थी लेकिन हमारे वीर जवानों ने चीनी सेना को पीट-पीट कर भगा दिया। भारतीय सेना की वीरता का दुनिया भर में प्रशंसा हो रही है। लेकिन भारत में इस घटना को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। विपक्षी पार्टियां संसद के भीतर तथा बाहर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश में है। विपक्षी पार्टियां इस घटना के लेकर संसद में चर्चा कराने की मांग कर रही है किंतु नरेंद्र मोदी सरकार इस मामले को संवेदनशील बताकर चर्चा से इनकार कर रही है। कांग्रेस सहित विभिन्न पार्टियां सेना की पहल की सराहना कर रही है किंतु मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है। संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करना ठीक नहीं है क्योंकि यह पूरा मामला राष्ट्रहित से जुड़ा हुआ है। सरकार से विरोध के नाम पर विपक्षी पार्टियां किसी भी हद तक जाने को तैयार है। जून 2020 में गलवान घटना के बाद भारतीय सेना पूरी तरह चौकस है। लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी पर भारतीय सेना की पूरी तैयारी है। चीनी सेना की संख्या के अनुसार भारतीय जवानों को भी तैनात किया गया है तथा अत्याधुनिक हथियार एवं मिसाइल तैनात किया गया है। भारत की तैयारी को देखकर चीन बौखलाया हुआ है। 1962 के बाद से ही चीन भारतीय सीमा में समय-समय पर घुसपैठ की कोशिश करता रहा है। भारत के रक्षात्मक रवैये को देखते हुए चीन को घुसपैठ करने का मौका मिलता है। लेकिन 2017 में डोकलाम में हुई घटना के बाद भारत सरकार ने भी अपनी रणनीति को आक्रामक कर दिया है। डोकलाम में 73 दिनों तक भारत और चीन की फौज आमने-सामने खड़ी थी। चीन के विस्तारवादी नीति को देखते हुए भारत लगातार उन्नत हथियारों को सीमा पर तैनात कर रहा है। हाल ही में भारत ने अग्नि-5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। परमाणु क्षमता से लैस अग्नि-5 मिसाइल की जद में बीजिंग से लेकर शंघाई तक पूरा चीन आ गया है। 17.5 मीटर लंबी यह मिसाइल 1360 किलो वजनी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल से चीन में काफी हड़कंप है। तवांग की घटना के बाद भारत ने अपने वायु सेना को भी अलर्ट मोड में रखा हुआ है। राफेल, सुखोई 30 एमकेआई तथा मिराज विमानों को तैनात किया हुआ है। इसके अलावा ब्रह्मोस मिसाइल तथा एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को भी एक्टिव किया गया है। नौ सेना को भी चौकसी बरतने का निर्देश है। चीन हिंद महासागर में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इसका उदाहरण यह है कि चीन पिछले दो महीनों के अंदर तीन बार अपने जासूसी जहाज को हिंद महासागर में भेज चुका है। चीन की तैयारी को देखते हुए भारत भी अपनी सौ सेना को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। 18 दिसंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश में निर्मित युद्धपोत आईएनएस मारमुगाओ को लांच किया है। एसएएम एवं एसटीएस मिसाइल से लैस इस युद्धपोत के भारतीय नौसेना में शामिल होने से नौसेना की ताकत काफी बढ़ गई है। इसमें 16 एनटीसी ब्रह्मोस मिसाइल, 32 एनटी एयर बराक मिसाइल, पनडुब्बीरोधी रॉकेट लांचर सहित कई चीज शामिल किए गए हैं जो इस युद्धपोत को खास बनाते हैं। इसका निर्माण ऐसे खास धातु से किया गया है जिसको लोकेट करना काफी मुश्किल होगा। यह युद्धपोत परमाणु, जैविक एवं रसायनिक युद्ध लड़ने में सक्षम है तथा इसकी मारक क्षमता 300 किलोमीटर तक है। मालूम हो कि चीन की नौसेना दुनिया की सबसे बड़ी एवं मजबूत नौसेना है। ऐसी स्थिति में भारत को थल सेना एवं वायु सेना के साथ-साथ नौ सेना को भी मजबूत करना पड़ेगा। भारत का बहुत बड़ा हिस्सा समुद्र एवं महासागर से घिरा हुआ है। ऐसी स्थिति में भारत को नौसेना को मजबूत बनाने के लिए तैयारी तेज करनी पड़ेगी। चीन की चुनौती से निपटने के लिए पूरे देश को एकजुट होकर सरकार और सेना के साथ खड़ा होना पड़ेगा।
तवांग की घटना पर राजनीति
