फुटबॉल के विश्वकप में अर्जेंटीना के महान खिलाड़ी लियोनेल मेस्सी ने अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर पेनल्टी शूटआउट में फ्रांस को 4-2 से हराकर 36 साल बाद अपने देश को विश्व चैंपियन बनाया। अपने कैरियर के आखिरी तिलिस्म को तोडऩे में मेस्सी कामयाब रहे। मेस्सी के दो गोल और शूटआउट में तीसरे गोल की मदद से अर्जेंटीना ने फ्रांस के करिश्माई खिलाड़ी काइलियान एमबाप्पे की हैट्रिक की बावजूद फ्रांस को हरा दिया। एमबाप्पे विश्वकप में 56 साल में हैट्रिक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बने, ङ्क्षकतु खिताब बचा नहीं सके। डिएगो माराडोना के बाद उन्होंने अपनी टीम को विश्व कप दिलाकर पेले और माराडोना जैसे महानतम खिलाडिय़ों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया। एमबाप्पे की भी तारीफ करनी होगी, जिन्होंने भविष्य में अपने नाम कई उपलब्धियां दर्ज कराई। उनके तीन गोल ने एकतरफा चल रहे फाइनल को जीवंत बना दिया। 1966 के बाद फाइनल में हैट्रिक लगाने वाले एमबाप्पे पहले खिलाड़ी बने, फिर भी 18 दिसंबर का दिन मेस्सी के नाम था। अर्जेंटीना शुरूआती दौर में दो गोल से आगे था, ङ्क्षकतु एमबाप्पे ने 80वें एवं 81वें मिनट में दो गोल करके मैच को अतिरिक्त समय तक के लिए खींच दिया। अतिरिक्त समय में मेस्सी ने एक गोल कर अर्जेंटीना को बढ़त दिला दी ङ्क्षकतु 10 मिनट बाद ही एमबाप्पे ने गोल कर फिर मैच को पेनल्टी शूटआउट की तरफ धकेल दिया। पेनल्टी शूटआउट में ही जाकर मैच का फैसला हुआ। अर्जेंटीना की जीत के साथ ही पिछले चार विश्वकप से यूरोपीय बादशाहत का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह थम गया। आखिरी बार 2002 में ब्राजील ने जापान और दक्षिण कोरिया में विश्वकप जीता था। पिछले साल कोपा अमरीका जीतने वाले अर्जेंटीना ने लगातार दूसरा खिताब जीता है। पहली बार पश्चिमी देशों का यह खेल कतर जैसे इस्लामिक देश में आयोजित किया गया। इस खेल के आयोजन पर कतर ने 24 लाख करोड़ खर्च किया तथा इसके लिए कार्बन न्यूट्रल स्टेडियम का निर्माण किया गया था। इस मैच के आयोजन से कतर ग्लेाबल नक्शे पर आ गया। आश्चर्य की बात यह है कि कतर ने इस आयेाजन के दौरान अपने देश में लागू इस्लामिक कानून को नजरअंदाज नहीं किया। मालूम हो कि दुनिया के करीब 200 देशों में फुटबॉल का खेल होता है। इस बार के आयोजन में 32 टीमों ने हिस्सा लिया था। भारत क्वालिफाइंग मैच के दूसरे दौर में ही बाहर हो गया था। फीफा रैंङ्क्षकग में भारत अभी 106वें स्थान पर है। भारत जैसे बड़े देश का फुटबॉल में इतना पिछडऩा निश्चित रूप से ङ्क्षचता का विषय है। भारत में बहुत पहले से फुटबॉल खेला जा रहा है ङ्क्षकतु हम लोग प्रतिस्पद्र्धा से बाहर हैं। पश्चिमी देशों खासकर यूरोप में यह खेल ज्यादा लोकप्रिय है। फुटबॉल के अगले महाकुंभ में 48 देशों के भाग लेने की उम्मीद है। इस दौरान अब ज्यादा खेल हो पाएंगे। इस महाकुंभ में इस बार काफी उलटफेर देखने को भी मिला। मोरक्को जैसा अफ्रीकी देश काफी उभर कर सामने आया है। भले ही वह चौथे स्थान पर रहा, ङ्क्षकतु मोरक्को ने अपने खेल से सबको प्रभावित किया। अर्जेंटीना और फ्रांस के बाद क्रोएशिया ने मोरक्को को हराकर तीसरा स्थान हासिल किया। फाइनल मैच में 6 गोल होने से इस विश्वकप में सर्वाधिक गोल का नया रिकॉर्ड बन गया है। कतर में खेले गए विश्वकप में कुल 172 गोल किए गए जो 1998 एवं 2014 के विश्वकप में किए गए 171 गोल से एक अधिक है। उत्तरी अमरीका में होने वाले 2026 के विश्वकप में सर्वाधिक गोल का नया रिकॉर्ड बन सकता है क्योंकि वहां 80 या 104 मैच खेले जाएंगे। कतर में प्रति मैच गोल करने का औसत 2.63 रहा, जबकि स्वीटजरलैंड में 1954 में खेले गए विश्वकप के 5.38 गोल प्रति मैच के विश्व रिकॉर्ड से काफी पीछे है। फीफा वल्र्ड कप 2022 में सबसे ज्यादा 8 गोल फ्रांस के खिलाड़ी किलियन एमबाप्पे ने किया, जबकि अर्जेंटीना के लियोनेल मेस्सी ने 7, अर्जेंटीना के ही जुलियन अल्वारेज ने 4, फ्रांस के ओलिवियर गिरौद ने 4, स्पेन के अल्वारो मोराटा ने 3, इंग्लैंड के बुकायो साका ने 3 तथा नीदरलैंड के कोडी गक्पो ने 3 गोल किए। इस बार नेमार एवं रोनाल्डो जैसे खिलाड़ी गोल करने को तरसते दिखे। भारत को पश्चिमी देशों द्वारा खेले जा रहे फुटबॉल मैच को देखकर सबक लेने की जरूरत है। फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए सरकार को विशेष पहल करनी चाहिए ताकि भारत फुटबॉल की मुख्यधारा में शामिल हो सके। इस महाकुंभ से भारत जैसे देश का पिछडऩा शोभा नहीं देता।