नववर्ष का आगाज हो चुका है। नए साल के नए विहान का सूर्य अपनी लालिमा से हम सबको आकर्षित कर चुका है। हमने अपनी धार्मिक विरासत  के  आधार  पर उसे प्रणाम और सलाम किया है। नए साल की पूर्व संध्या पर वर्ष-2023 के आगमन को लेकर खास (विशेष) से लेकर आम लोगों तक में काफी उत्साह दिखा। पूरी दुनिया में लोगों ने इसके आगमन का स्वागत  किया। सुबह उठते ही लोग अपनी आस्था के अनुसार मंदिर, गिरजा और बुजुर्गों (पीर-औलिया) के मजारों पर  पहुंच गए। सबने नए साल में सुख, शांति, समृद्धि , सौहार्द और जिंदगी की सुगमता के लिए प्रार्थना की। हम भी चाहते हैं कि वैसा ही हो, जैसा हमने अपनी प्रार्थना और दुआ में  ईश्वर के आगे नतमस्तक होकर अपना डिमांड पेश किया। बावजूद इसके बीता साल-2022 ने जो अपनी विरासत छोड़ी है, उनसे लगता है कि नए साल-2023 की अनुगूंज में वे भी गाहे- बगाहे शामिल रहेंगी। बीता वर्ष जाते-जाते कोरोना के फैलाव का डर छोड़ गया है और वह डर वास्तविकता में न बदल जाए, इसको लेकर सरकार और प्रशासन विशेष रूप से तत्पर हैं। लोगों को कोरोना प्रोटोकॉल पर अमल करने का संदेश दिया जा रहा है,जबकि हम इस वर्ष खुश थे कि इस बार हमें कोरोना का सामना नहीं करना पड़ा। यदि कोरोना वायरस सरकारी फैसलों को प्रभावित करने लगा है तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए। पिछले दो दिन के भीतर दिल्ली में करीब छह हजार लोग विदेश से आए हैं, जिनमें से चार दर्जन लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इस स्थिति में विदेश से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जांच होनी चाहिए। दूसरी ओर   रुस- यूक्रेन के बीच अभी भी जंग जारी है। ऐसे में विश्व समुदाय की जिम्मेवारी है कि दोनों देशों को इस विभीषिका से बाहर निकालने के लिए सार्थक पहल की जाए। कारण कि युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। इस युद्ध के कारण सिर्फ रुस और यूक्रेन ही नहीं प्रभावित हो रहे है, बल्कि इसका बुरा असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पूरी दुनिया पर पड़ रहा है। इसके कारण पूरे यूरोप की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। ब्रिटेन जैसा देश तबाह हो गया है और वहां के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का कहना है कि इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि नए साल में ब्रिटेन की आर्थिक स्थिति अच्छी हो जाएगी। इस विषम परिस्थिति में भारत रूस का सबसे विश्वसनीय मित्र है। ऐसे में पूरी दुनिया चाहती है कि भारत रूस और यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने के लिए पहल करे। अपनी मित्रता का वास्ता देकर रूस को युद्ध समाप्त करने के लिए तैयार करे। दूसरी ओर भारत फिलहाल जी-20 देशों के समूह का अध्यक्ष है। इसलिए पूरी दुनिया भारत की ओर टकटकी निगाहों से देख रही है। इसी बीच भारत की वर्तमान सरकार की जिम्मेवारी है कि वह रूस और यूक्रेन के बीच कड़ी की भूमिका निभाए। कारण कि रूस और यूक्रेन की लड़ाई से पूरी दुनिया मंदी का शिकार हो गई है। कोरोना के कारण विश्व समुदाय पहले से ही परेशान है और युद्ध की विभीषिका ने स्थिति को और खराब कर दिया है। इस वर्ष कई छोटे- बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव है। दूसरी ओर इस वर्ष को अगले साल यानी वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी का वर्ष माना जा रहा है। देश की मुख्य विपक्षी पार्टियां  केंद्र में सत्ता परिवर्तन कराने के लिए अभी से ही जुट गई हैं। कांग्रेस का भारत जोड़ो यात्रा इसकी प्रमुख कड़ी मानी जा रही है तो दूसरी ओर सत्ताधारी भाजपा दिल्ली के रण को हर हाल में जीतना चाहती है। इसलिए वह अभी से ही लग गई है। इसलिए वर्तमान वर्ष में कई चुनौतियां हैं, परंतु संभावनाएं भी कम नहीं है। अब हमें देखना है कि हमारी वर्तमान सरकार  चुनौतियों को संभावनाओं में बदल में कितना सफल हो पाती है। उम्मीद है कि वह चुनौतियों को संभावनाओं में बदलने के लिए अपने संपूर्ण तंत्र का उपयोग करेगी। कारण कि इस वर्ष की सफलता और असफलता पर वर्ष 2024  का चुनाव परिणाम निर्भर है।