चीन लगातार भारत से लगती अपनी सीमा पर घुसपैठ करने की कोशिश करता रहा है। अपनी विस्तारवादी नीति के तहत चीन ऐसा करके पड़ोसी देशों की जमीन हड़पने की कोशिश करता रहता है। यह केवल भारत के साथ ही नहीं, अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ ऐसी ही हड़कत करता रहता है। वर्ष 2020 में गलवान की घटना के बाद भारत ने अपने रणनीतिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 2022 में एक अभियान शुरू किया था जो अभी जारी है। पिछले 9 दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीन के द्वारा की गई गुस्ताखी ने यह साबित कर दिया कि चीन विश्वास करने लायक देश नहीं है। एक तरफ वह वार्ता में उलझाए रखना चाहता है, जबकि  दूसरी तरफ साजिश रचने में व्यस्त रहता है। अब भारत ने भी अपनी नीति में परिवर्तन करते हुए चीनी सीमा पर अपनी सामरिक स्थिति मजबूत  करने की लगातार कोशिश कर रहा है। जवानों की लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ाने के लिए उन्नत हथियार उपलब्ध कराने के साथ-साथ आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए त्वरित कदम उठाए जा रहे हैं। भारत लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फ्रंटियर हाईवे का निर्माण कर रहा है, जो 1859 किलोमीटर लंबा होगा। यह परियोजना 5 वर्ष में पूरी होगी। इसके निर्माण कार्य से भारतीय सेना की पहुंच बढ़ जाएगी। तिब्बत और म्यामां से लगती सीमा भी सुरक्षित हो जाएगी। केंद्र सरकार ने चीन से लगती सीमाई क्षेत्र में अधिक से अधिक गांव बसाने का निर्णय लिया है। इस कदम से भारत की दावेदारी मजबूत होगी तथा चीनी गतिविधियों पर नजदीकी नजर रखी जा सकेगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीमा सड़क संगठन द्वारा अरुणाचल के वेस्ट सियांग एवं अपर सियांग जिले के बीच निर्मित पुल सहित 28 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। ये सभी परियोजनाएं सड़क, पुल आदि से संबंधित हैं। वर्ष 2021 में सीमा सड़क संगठन ने 102 तथा 2022 में 103 परियोजनाओं का काम पूरा किया है। इससे चीन से लगी सीमाई क्षेत्र में आधारभूत ढांचा मजबूत हुआ है। भारत की इस पहल को लेकर चीन चिढ़ा हुआ है। चीन की कुटिल चाल को देखते हुए भारत ने आधारभूत ढांचा मजबूत करने के साथ-साथ दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशिया में सभी मित्र देशों के साथ सैन्य सहयोग का विस्तार किया है। चुनौतियों को देखते हुए हल्के टैंक, जहाजरोधी मिसाइल, लंबी दूरी के निर्देशित बम, माउंटेड गन सिस्टम व विभिन्न प्रकार के ड्रोनों की खरीद की है। परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत ने बंगाल की खाड़ी में बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। भारत ने दिसंबर में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम अग्नि-5 बैलेस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जिसकी मारक क्षमता 5400 किलोमीटर है। यह परीक्षण सेना की मारक क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाता है। अग्नि-5 के सफल परीक्षण से पूरा चीन भारत की जद में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में निर्मित विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का जलावतरण किया जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री ने पिछले 30 अक्तूबर को भारतीय वायु सेना के लिए सी-295 सैन्य परिवहन विमान के विनिर्माण केंद्र की आधारशिला रखी। 16 विमानों को सितंबर 2023 से लेकर अगस्त 2025 के बीच भारतीय वायु सेना को सौंप दिया जाएगा। प्रलय एवं ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की किसी डिफेंस सिस्टम को मात देने में सक्षम है। भारत सामरिक तैयारी के  साथ-साथ कूटनीतिक मोर्चे पर भी चीन को घेरने के मौके को हाथ से जाने नहीं दे रहा है। भारत चीन को उसी की भाषा में करारा जवाब दे रहा है।