बिहार में जनता दल (यू) के साथ गठबंधन टूटने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने अभी से ही वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार की यात्रा कर  स्थिति का जायजा लिया है। उन्होंने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि बिहार में चाचा-भतीजे की सरकार है, जो लोगों की आशा-आकांक्षा पूरा करने में विफल रही है। बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सितंबर में बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया था। भाजपा अपने मिशन-40 के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों पर फोकस कर रही है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त मिली थी। कुढ़नी, मोकामा एवं गोपालगंज विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा को तीन में से दो सीटों तथा नगर निकाय के चुनाव में मिली विजय ने भाजपा में नया जोश भर दिया है। महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल  (राजद) एवं जनता दल-यू (जदयू) के बीच चल रही खींचतान ने भाजपा को अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका दे दिया है। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सुशासन बाबू पर सुधाकर सिंह ने आपत्तिजनक टिप्पणी की है। तेजस्वी यादव को सत्ता सौंपने में जितनी देर हो रही है उतना ही राजद के बीच कोलाहल बढ़ रहा है। हाल के नीतीश कुमार के बयान पर जनता दल-यू के भीतर भी असंतोष बढ़ा है।  जदयू के कुछ नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार द्वारा राजद के सामने आत्मसमर्पण करने से उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। जदयू के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान से यह बात स्पष्ट हो रही है। भाजपा बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव के फार्मूले पर काम करती दिख रही है। उस चुनाव में भाजपा ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), उपेंद्र कुशवाहा की नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) के साथ चुनावी गठबंधन किया था। उस चुनाव में भाजपा ने 40 में से 30 सीटों पर  प्रतिद्वंद्विता की थी। बाकी के दस सीटों को सहयोगी दलों के लिए छोड़ दिया था। उस चुनाव में भाजपा को 22, लोजपा को 6 तथा रालोसपा को तीन सीटों पर जीत मिली थी। उस चुनाव में भाजपा को 29.40 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि राजद को 20.1 प्रतिशत एवं जदयू 15.8 प्रतिशत वोट मिले थे। लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा और जदयू का गठबंधन होने से स्थिति काफी बदल गई थी। भाजपा और जदयू दोनों ने 17-17 सीटों पर प्रतिद्वंद्विता की थी, जबकि 6 सीटें सहयोगी दलों को दी गई। 2019 के चुनाव में भाजपा को जीती हुई पांच सीटें जदयू को देनी पड़ी थी। उस चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत भी घटकर 23.6 प्रतिशत हो गया था। 2024 के चुनाव में भी भाजपा का लोजपा के साथ तालमेल होना लगभग निश्चित है। लोजपा अभी दो भागों में बंटी हुई है। पशुुपति पारस केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं, जबकि चिराग पासवान भावनात्मक रूप से भाजपा से जुड़े हुए हैं। चुनाव के वक्त भाजपा गुट के साथ गठबंधन होने की पूरी उम्मीद है। जदयू से अलग हुआ आरसीपी सिंह का खेमा भी भाजपा के साथ रहेगा। चुनाव नजदीक आने के साथ ही नीतीश से नाराज चल रहे कुछ जदयू के नेता भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं। नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता से भाजपा का उत्साह बढ़ा है। भाजपा वर्ष 2024 के चुनाव से पहले अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत कर लेना चाहती है।