इसी वर्ष के शुरू में पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मेघालय, त्रिपुरा एवं नगालैंड में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयोग की पूरी टीम 11 जनवरी से पूर्वोत्तर का दौरा करने वाली है। यह टीम 11 जनवरी को त्रिपुरा पहुंचेगी तथा वहां के राजनीतिक दलों, हितधारकों एवं चुनाव अधिकारियों के साथ बैठक करेगी। वहां से 12 जनवरी को शिलांग पहुंचने से पहले कुछ ऐसे स्थानों का दौरा करेगी जहां गड़बड़ी होने की आशंका है। मेघालय में 13 जनवरी को वहां की पार्टियों के साथ बातचीत होगी तथा चुनाव व्यवस्था की समीक्षा होगी। 14 जनवरी को चुनाव आयोग की टीम नगालैंड पहुंचेगी तथा वहां के राजनीतिज्ञों के साथ बैठक कर हालात की जानकारी लेगी। तीनों राज्यों की जानकारी लेने के बाद चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तिथियों का ऐलान कर सकती है। 15 फरवरी से 10वीं एवं 12वीं की परीक्षाओं की तिथियों पर गौर करने के बाद मतदान की तिथि घोषित होगी। चुनाव आयोग के दौरे को देखते हुए पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, नगालैंड एवं मेघालय में चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। मालूम हो कि त्रिपुरा में भाजपा की सरकार है, जबकि मेघालय एवं नगालैंड में भाजपा सत्तारूढ़ दल की सहयोगी पार्टी है। चुनाव को देखते हुए भाजपा के नेता तथा केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य पूर्वोत्तर के दौरे पर हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पिछले 6 जनवरी को नगालैंड एवं मणिपुर के दौरे पर थे। उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद पूर्वोत्तर के आठों राज्यों का काफी विकास हो रहा है। शाह ने कहा कि नगालैंड ने शांति, प्रगति एवं समृद्धि के उद्देश्य को पूरा किया है। उन्होंने 52 करोड़ रुपए की पांच परियोजनाओं का उद्घाटन किया। शाह ने दावा किया कि 2014 से 2019 के बीच उग्रवाद में 74 प्रतिशत की कमी आई है। मणिपुर में भी शाह ने 1300 करोड़ रुपए की 21 परियोजनाओं का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन एवं शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस अवधि में 51 बार पूर्वोत्तर का दौरा कर चुके हैं। केंद्र सरकार की एक्ट-ईस्ट नीति के तहत आठ साल से कम समय में 3.45 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 7 जनवरी को नगालैंड वासियों को विकास कार्यों के लिए बधाई दी है, जिनमें कनेक्टिविटी, शिक्षा, पर्यटन एवं ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं। भाजपा पूर्वोत्तर क्षेत्र में अपनी साख बचाने के लिए कमर कस चुकी है। इन तीनों राज्यों में इसकी पहली तिमाही में तथा मिजोरम में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। त्रिपुरा में भाजपा को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी एवं तृणमूल कांग्रेस से चुनौती मिलेगी। भाजपा ने विप्लब देब को मुख्यमंत्री पद से हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया है, ताकि सरकार विरोधी भावना को कम किया जा सके। नगालैंड में भी भाजपा अपनी स्थिति मजबूत करने की पूरी कोशिश में है। हालांकि मेघालय में भाजपा सरकार के साथ है, किंतु वह चुनाव अपने बलबूते पर लड़ेगी। यहां तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को तोड़कर अपने को मुख्य विपक्षी दल बना लिया है। ऐसी स्थिति में सत्ताधारी दल को तृणमूल कांग्रेस से टक्कर मिलेगी। भाजपा भी विधानसभा में अपनी सदस्य संख्या बढ़ाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। चुनाव आयोग की टीम आने के बाद पूर्वोत्तर के इन तीन राज्यों में सियासी हलचल और तेज होगी।