पाकिस्तान इस वक्त आर्थिक एवं राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। महंगाई एवं बेरोजगारी ने वहां की जनता को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। आर्थिक तंगी के कारण पाकिस्तान में महंगाई की दर 25 प्रतिशत तक पहुंच गई है। आटा इतना महंगा हो गया है कि घरों में रोटियां नहीं बन रही हैं। सब्सिडी आटा के लिए होड़ मची हुई है। फल, साग-सब्जी एवं अन्य खाद्य पदार्थों की कीमतें आसमान छू रही हैं। दूध की कीमत प्रति लीटर 144 रु. एवं ब्रेड की कीमत 98 रुपए तक पहुंच गई है। कंगाली के कगार पर पहुंचे पाकिस्तान को तत्काल अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज की जरूरत है। अगर इस कर्ज के लिए पाकिस्तान को आईएमएफ की शर्त मानने पर मजबूर होना पड़ा तो महंगाई और ज्यादा बढ़ सकती है। आर्थिक तंगी के साथ-साथ पड़ोसी देश पाकिस्तान को राजनीतिक अराजकता की दौर से गुजरना पड़ रहा है। कश्मीर का ख्वाब देखने वाले पाकिस्तान को पाक अधिकृृत कश्मीर में वहां की जनता के गुस्से से रू-ब-रू होना पड़ रहा है। महंगाई एवं बेरोजगारी से त्रस्त जनता पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन कर रही है। पीओके के अलावा बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में भी स्थिति भयावह है। सिंध एवं पंजाब प्रांत भी आंदोलन से अछूता नहीं है। पीओके एवं बलूचिस्तान की जनता अब भारत के समर्थन में उतर चुकी है। भारत को तोड़ने का सपना देखने वाली शाहबाज शरीफ सरकार लाचार है। अपने देश को बचाने के लिए शाहबाज सरकार भीख मांगने पर मजबूर है, किंतु अभी भी भारत विरोधी गतिविधियां चलाने से परहेज नहीं कर रही है। वहां के हुक्मरान भारत के खिलाफ जहर उगलने से पीछे नहीं हट रहे हैं। विदेशी मुद्रा भंडार घटने से स्थिति और गंभीर हो चली है। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के बावजूद पाकिस्तान आतंकवाद का वित्त पोषण करने से पीछे नहीं हट रहा है। अब तो अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार भी पाकिस्तान को धमकी देने पर उतर आई है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान को नाक में दम कर रखा है। टीटीपी लगातार पाकिस्तानी क्षेत्र में हमला कर रही है। हाल ही में टीटीपी ने पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के दो अधिकारियों की हत्या कर दी है। टीटीपी ने उत्तरी पाकिस्तान के लिए समानांतर सरकार का गठन कर मंत्रियों के विभागों की घोषणा कर दी है। स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि पाक समर्थक हक्कानी नेटवर्क ने भी इस मामले में पाकिस्तान को कोई मदद देने से इनकार कर दिया है। टीटीपी को अफगानी तालिबान का पूरा समर्थन है। तालिबानी सरकार ने पाक और अफगानिस्तान के बीच से गुजरने वाली डूरंड रेखा को मानने से इनकार कर दिया है। अफगानिस्तान में तालिबानियों द्वारा सत्ता स्थापित करने में मददगार बना पाकिस्तान तालिबानियों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता था। आज वही तालिबानी पाकिस्तान के लिए राहू-केतु बने हुए हैं। तालिबानी नेता पाकिस्तान को 1971 के भारत-पाक युद्ध को याद दिलाकर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं। अब भारत को वहां की स्थिति पर पैनी नजर रखते हुए पीओके को वापस लेने के लिए पहल करनी चाहिए।