चीन का अपने किसी भी पड़ोसी देशों के साथ मधुर संबंध नहीं है। अपनी विस्तारवादी नीति के तहत चीन अपने पड़ोसी देशों की जमीन तथा जल सीमा को हड़पने के लिए तिकड़म करते रहता है। आज स्थिति यह है कि चीन का 43 प्रतिशत क्षेत्र दूसरे देशों से हड़पा हुआ है। इसके बावजूद चीन लगातार दूसरे देशों की जमीन पर बेवजह दावा ठोकता रहता है। पड़ोसी देश ताइवान को अपने में मिलाने के लिए चीन हर तरह से दबाव डाल रहा है। ताइवान की सरकार चीन की किसी भी धमकी के आगे झुकने को तैयार नहीं है। चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए ताइवान ने भी अपनी सामरिक तैयारी मजबूत की है। सुपर पावर अमरीका ताइवान की मदद के लिए आगे आया है। अमरीका ने अपने जंगी जहाजों एवं खतरनाक लड़ाकू विमानों को ताइवान के आसपास तैनात किया है। ताइवान के आसपास पहले से ही अमरीका के कई सैन्य बेस हैं जहां अमरीका पूरी ताकत के साथ खड़ा है। स्थिति यह है कि कोई भी छोटी घटना बड़े युद्ध का रूप ले सकती है। जर्मन प्रतिनिधिमंडल के ताइवान दौरे के बाद स्थिति फिर से तनावपूर्ण हो गई है। चीन ने ताइवान सीमा के पास बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है, जिसमें 57 विमान हिस्सा ले रहे हैं। पिछले दो सप्ताह के भीतर चीन का यह दूसरा बड़ा अभ्यास है। चीन की दादागिरी पर अंकुश लगाने के लिए उसके पड़ोसी देश भी तैयारी में जुट गए हैं। पड़ोसी देश जापान ने अचानक अपनी रक्षा नीति में बड़ा बदलाव करते हुए रक्षा के क्षेत्र में बड़े बजट आवंटित करने का ऐलान कर दिया है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता एवं चीन की घुसपैठ की रोकथाम के लिए भारत और जापान साथ आए हैं। जापान एवं ताइवान की तरह भारत भी चीनी घुसपैठ का शिकार है। गलवान एवं तवांग की घटना ने भारत को भी सतर्क रहने का संदेश दे दिया है। इन दोनों घटनाओं के बाद भारत भी चीन से लगती सीमा पर अपनी सामरिक तैयारियों को लगातार मजबूत कर रहा है। सीमा पर उन्नत हथियार एवं ब्रह्मोस जैसे मिसाइल तैनात किए गए हैं। अग्नि-5 तथा प्रलय मिसाइल का परीक्षण कर भारत ने चीन को यह संदेश दे दिया है कि अब उसका कोई भी इलाका भारत की जद से बाहर नहीं है। अग्नि-5 मिसाइल की रेंज 5400 बताई गई है, किंतु विशेषज्ञों का मानना है कि इसका असली रेंज 7000 किलोमीटर है। भारत और जापान मिलकर चीन का मुकाबला करने की तैयारी में हैं। आगामी 16 से 26 जनवरी तक भारत और जापान की वायु सेनाएं संयुक्त युद्धाभ्यास करेंगी। इसके लिए सुखोई-30 विमान तथा अन्य हेलिकाप्टर जापान पहुंच चुके हैं। दोनों ही देश इस तैयारी के माध्यम से अपनी रक्षा तैयारी को परख रहे हैं। ताइवान भी भारत के साथ संबंध बढ़ा रहा है ताकि समय पड़ने पर भारत उसकी मदद कर सके। जिस तरह से चीन भारत के पड़ोसी देशों को अपने कर्ज जाल में फंसाकर भारत को घेरने में लगा हुआ है, उसी तरह भारत भी चीन को उसी की भाषा में जवाब दे रहा है। भारत बातचीत के साथ-साथ चीनी सीमा पर अपनी तैयारियों को गति दे रहा है, क्योंकि चीन जैसे कुटिल देश पर कभी भी विश्वास नहीं किया जा सकता है। इस मामले में मोदी सरकार पूरी तरह सजग है।