वर्ष 2023 में नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों तथा 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर गत 16 एवं 17 जनवरी को नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में महामंथन हुआ। चुनाव आयोग ने 18 जनवरी को पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय एवं नगालैंड विधानसभा चुनाव के लिए घोषणा कर दी है। त्रिपुरा में 16 फरवरी तथा मेघालय एवं नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान होगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना एवं मिजोरम में भी इसी वर्ष चुनाव होने वाले हैं। कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित देश के विभिन्न राज्यों से भाजपा के 350 वरिष्ठ नेता हिस्सा लिये।
इस बैठक में भाजपा शासित 12 राज्यों के मुख्यमंत्री तथा 5 उपमुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में विकसित भारत के लक्ष्य को लेकर एक विशाल रोड शो का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा ने अपना शक्ति प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यकारिणी के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि अमृत काल को कर्तव्य काल के रूप में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करें। प्रधानमंत्री ने अपने पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से कहा कि 2023 में होने वाले किसी भी चुनाव को हारना नहीं है। 2023 की तैयारी ही भाजपा को वर्ष 2024 में सत्ता तक पहुंचाएगी। मालूम हो कि कर्नाटक, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, असम, हरियाणा, महाराष्ट्र एवं उत्तराखंड में पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया था।
प्रधानमंत्री ने अपने पार्टी नेताओं को अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों के प्रति गलत बयानबाजी न करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पसमांदा, बोहरा एवं पेशेवर लोगों के बीच जाकर सरकार की कामयाबी को बताएं तथा उनके विश्वास जीतें। कार्यकारिणी की बैठक में भाजपा के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव तक यानी जून 2024 तक बढ़ा दिया गया है। पार्टी ने यह निर्णय उनके अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए लिया है। मालूम हो कि नड्डा का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं गृह मंत्री अमित शाह के साथ अच्छे संबंध हैं। नड्डा ने अपने कार्यकाल के दौरान निचले स्तर तक भाजपा को मजबूत करने का काम किया है। बैठक के दौरान 2024 के विजय अभियान के लिए तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया।
भाजपा ने देश के करीब 72000 कमजोर बूथों पर काम किया है, जहां उनकी पार्टी की सांगठनिक स्थिति कमजोर थी। राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ को वापस लेने की रणनीति पर भी मुहर लगी। भाजपा ने राजस्थान के प्रमुख नेताओं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, सतीश पूनिया एवं केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को एकजुट कर विजय सुनिश्चित करने के लिए कहा गया। भाजपा राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रहे टकराव का चुनाव में लाभ उठाना चाहती है। मध्यप्रदेश में भी भाजपा अपना कब्जा बरकरार रखने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। मालूम हो पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को मध्यप्रदेश के 29 सीटों में से 28 पर जीत हासिल हुई थी। कर्नाटक में भी भाजपा पूर्ण बहुमत हासिल करने के लिए पुरजोर कोशिश करेगी। वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में त्रिशंकु विधानसभा बनी थी। यहां भी पार्टी कांग्रेस में चल रही फूट का फायदा उठाना चाहेगी। पिछले कुछ वर्षों से भाजपा ने तेलंगाना पर अपना फोकस किया है। इस बार भाजपा यहां जीत का बड़ा मार्जिन सुनिश्चित करने की कोशिश करेगी। पूर्वोत्तर के चार राज्यों पर भी भाजपा ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि यहां भी भाजपा के पक्ष में अच्छा माहौल बन सके।