चुनाव आयोग ने पूर्वोत्तर के तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय एवं नगालैंड में चुनावी बिगुल बजा दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि त्रिपुरा में 16 फरवरी तथा मेघालय एवं नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान होगा। इसके साथ ही अरुणाचल प्रदेश काएक, झारखंड का एक, पश्चिम बंगाल का एक, लक्षद्वीप का एक तथा महाराष्ट्र के दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए उपचुनाव 27 फरवरी को होंगे।

सभी चुनावों के मतों की गिनती 2 मार्च को होगी तथा उसी दिन परिणाम घोषित हो जाएंगे। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक समाप्त होने के अगले दिन चुनावी घोषणा होने पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में भाजपा के 36, माकपा के 16, आईपीएफटी के 8 विधायक थे। भाजपा ने वर्ष 2018 में शानदार जीत दर्ज कर 25 वर्षों के वामपंथी शासन को उखाड़ फेंका था। तत्कालीन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बिप्लब देब को मुख्यमंत्री बनाया गया। कुछ महीने पहले बिप्लब देब को हटाकर माणिक साहा को कमान सौंपी गई है। पश्चिम त्रिपुरा, गोमती एवं धुलाई में भाजपा का दबदबा है, जबकि सिपाहीजला क्षेत्र में माकपा का वर्चस्व है। उत्तर त्रिपुरा एवं उन्नाकोटि में भाजपा एवं माकपा के बीच बराबरी का टक्कर है। इस बार भाजपा को त्रिपुरा में विपक्ष से कड़ी टक्कर मिलेगी। माणिक साहा के आने के बाद कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं, जबकि आदिवासी अधिकार पार्टी भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने में लगी हुई है।

वर्तमान विधानसभा चुनाव में माकपा और कांग्रेस के साथ आने से भाजपा के समक्ष निश्चित रूप से चुनौती बढ़ेगी। मेघालय में एनपीपी के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार है। किंतु चुनाव नजदीक आने के साथ ही गठबंधन में दरार पड़ गई है। एनपीपी के नेतृत्व वाली गठबंधन में भाजपा सहित पांच पार्टियां शामिल हैं। चुनावी घोषणा से पहले एनपीपी के दो विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मेघालय के कैबिनट मंत्री व चार विधायकों ने इस्तीफा दिया है। ऐसी खबर है कि ये सभी नेता यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) में शामिल होंगे। भाजपा ने भी मेघालय में अपने संगठन को मजबूत किया है, लेकिन इस बार मुकुल संगमा के नेतृत्व में टीएमसी ने अपनी पैठ मजबूत की है। 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा में वर्ष 2018 के चुनाव के बाद नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) का भाजपा के साथ गठबंधन है।

इस चुनाव में भी दोनों पार्टियों के साथ लड़ने की उम्मीद है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नगालैंड दौरे के समय भाजपा के लिए ज्यादा सीट देने की मांग की है। ऐसी खबर है कि भाजपा ने 60 में से 20 सीटें देने की मांग की है। भाजपा नगालैंड में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए लगातार प्रयासरत है। वर्ष 2018 के चुनाव से पहले सत्ताधारी एनडीपी दो धड़ों में बंट चुकी थी। भाजपा ने एनपीएफ से गठबंधन तोड़कर एनडीपीपी से हाथ मिलाया था। वर्तमान समय में नगालैंड विधानसभा में कोई विपक्षी सदस्य नहीं है। सभी 60 विधायक सत्ताधारी दल के साथ है। इन तीनों राज्यों में भाजपा का शासन है। अब भाजपा के सामने तीनों राज्यों में फिर से सत्ता में आने की चुनौती है। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा को जीत से शुरुआत करने की जरूरत है।