राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है। उनका जन्म 13 अक्तूबर 1947 को हुआ। पत्नी अनिता कटारिया हैं और इनकी 5 पुत्रियां हैं। कटारिया गणित के शिक्षक थे और कहा जाता है कि उनका खुद का स्कूल हुआ करता था जहां वह गणित पढ़ाते थे और वे आरएसएस से भी जुड़े रहे।
राजनीति में धीरे-धीरे कार्यकर्ता के रूप में कदम रखा और इसके बाद पहली बार 1977 में 6वीं राजस्थान विधानसभा के लिए उदयपुर विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भरा और जीत भी हासिल की। खास बात यह है कि वे यहां से लगातार जीतते आ रहे हैं। 1977 के बाद1980 में हुए 7वीं राजस्थान विधानसभा के चुनाव में भी गुलाब चंद ने जीत दर्ज की और दूसरी बार विधानसभा सदस्य बने। इसी दौरान वे 1980 से 1981 तक राजस्थान विधानसभा के प्राक्कलन समिति के सदस्य भी रहे। 1981 से 1985 तक भी विधायक रहते हुए राजस्थान विधानसभा में प्राक्कलन समिति सदस्य भी रहे।
1989 में गुलाब चंद कटारिया 9वीं लोकसभा के लिए उदयपुर से ही चुने गए और लोकसभा की लोक लेखा समिति के सदस्य भी बनाए गए। इसी के साथ वे लोकसभा की कृृषि संबंधी समिति के सदस्य भी रहे। 1993 में गुलाब चंद 10वीं राजस्थान विधानसभा में उदयपुर से निर्वाचित होकर गए और उनका राजनीतिक कद काफी बढ़ गया। 1993 में उन्हें राजस्थान सरकार में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बनाया गया। वे इस पद पर 30 नवंबर 1998 तक रहे। साल 1998 में गुलाब चंद 11वीं राजस्थान विधानसभा में फिर से चुन कर आए. कांग्रेस सरकार विपक्ष के विधायक रहते हुए वर्ष 1999 से 2000 तक लोक लेखा समिति और विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। 1999 से 2000 तक विधानसभा सदन समिति सदस्य भी रहे।
2003 में गुलाब चंद कटारिया 12वीं राजस्थान विधानसभा में फिर उदयपुर से विजयी होकर विधानसभा पहुंचे। इस बार राजस्थान में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी और वसुंधरा राजे सरकार में गुलाब चंद लोक निर्माण विभाग और गृह मंत्री बनाए गए। वे राजस्थान सरकार में गृह मंत्रीे के पद पर 2008 तक रहे। 2008 में गुलाब चंद कटारिया फिर से विजयी होकर 13वीं राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने। इस बार राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी। इस दौरान वे विपक्ष के नेता रहे। वर्ष 2013 में वे 7वीं बार उदयपुर से विधायक बने और 14वीं राजस्थान विधानसभा में पहुंचे।
इस बार राजस्थान में बीजेपी की जीत हुई और 2013 में उन्हें राजस्थान सरकार में पंचायती राज मंत्री बनाया गया। पिछले विधानसभा में भी उन्होंने 9वीं बार जीत दर्ज की और विधानसभा नेता प्रतिपक्ष बने और अब वे असम के राज्यपाल बनाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि कटारिया का असम के राज्यपाल के रूप में प्रमोशन बताता है कि अब वह सक्रिय राजनीति में नहीं रहेंगे। दक्षिण राजस्थान के मेवाड़-वागड़ क्षेत्र में उनका प्रभाव माना जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से गहराई से जुड़े 78 वर्षीय गुलाब चंद कटारिया राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे हैं।
राज्य में भाजपा के नेतृत्व वाली कई सरकारों में गृह मंत्री रहे। गुलाब चंद कटारिया और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे शुरूआत में प्रतिद्वंद्वी थे, लेकिन अब एक अच्छे कामकाजी संबंध के लिए जाने जाते है। आठ बार विधायक रहे गुलाब चंद कटारिया को राजस्थान की सक्रिय राजनीति से हटाया जाना राज्य में एक नए नेतृत्व के लिए रास्ता बनाने की भाजपा की रणनीति लगती है। इस साल के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव है। गुलाब चंद कटारिया भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे थे। ऐसे में उपराज्यपाल बनाने का फैसला पहली नजर में बताता है कि वह 2023 में मुख्यमंत्री के दावेदारों की दौड़ से बाहर हो गए हैं।
मेवाड़ की सीमा गुजरात से लगती है और विशेष रूप से बांसवाड़ा, डूंगरपुर और सिरोही जैसे जिलों में एक बड़ी जनजातीय आबादी है। मेवाड़ की 40-50 सीटों पर आदिवासियों, राजपूतों और जैन समुदाय का वर्चस्व है। ये सीटें राज्य के आगामी चुनावों में भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि श्री कटारिया के राजनीतिक अनुभव का लाभ राज्यपाल के रूप में असम को मिलेगा और यह असम के लिए अच्छी बात है।