आज दुनिया बढ़ती आबादी और ग्लोबल वार्मिंग के कारण पानी की कमी से जूझ रही है। शहरों से लेकर गांव तक पानी की खपत तो ज्यादा है, लेकिन पानी हासिल करने के जरिये बेहद कम होते जा रहे हैं। धरती में पानी का स्तर भी गिरता जा रहा है, जो कि वैश्विक चिंता का विषय है।

भारत के कई इलाकों में भी लोग पानी की भयंकर कमी का सामना कर रहे हैं। इस समस्या के समाधान के लिये वर्षा जल संचयन को बेहतरीन माना गया है। देशभर में इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिये कई जागरुकता के कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। अगर बात करें ग्रामीण इलाकों की, तो यहां खेत कीं सिंचाई के लिये बड़ी मात्रा में पानी की जरूर पड़ेगी। ऐसे में हमारे किसान भाई वर्षा जल संचयन की तकनीक को अपनाकर पानी की बढ़ती खपत को कम कर पायेंगे, बल्कि बारिश के पानी से सिंचाई करके फसलों की बंपर पैदावार भी हासिल कर सकेंगे।

भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गांव और शहरों में वर्षा जल संचयन के लिये कैच द रेन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बारिश के पानी को जलाशयों में इकट्ठा कर लिया जाए। इस अभियान के तहत पानी को जमा करने के लिये संरचनाओं का निर्माण, मौजूदा तालाबों और जल निकायों का जीर्णोद्धार, नए जलाशयों का निर्माण और चेक डैम की व्यवस्था करना शामिल है। कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद कैच द रेन अभियान ने काफी उपलब्धियां हासिल की है। इस काम में ग्रामीण विकास मंत्रालय की मनरेगा योजना के तहत कई गांवों में पानी को इकट्ठा करने से जुड़े काम किये जा रहे हैं। इस अभियान में बारिश के पानी के लिये ढांचों को बनाने के साथ-साथ फसल विविधीकरण, वनरोपण और जरूर के अनुसार पानी के इस्तेमाल के प्रति समाज को जागरुक करने की जिम्मेदारी भी शामिल है।