पिछले एक हफ्ते के दौरान अमरीका के तीन बैंकों में ताला लग चुका है। एफडीआईसी के अनुसार वर्ष 2001 के बाद से अब तक 563 बैंकों का पतन हुआ है। सिल्वर वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक का नाम भी इस लिस्ट से जुड़ चुका है। इन दोनों बैंकों में तालाबंदी से पहले क्रिप्टो बैंक सिल्वरगेटनेवी दो दिन पहले ही अपना कारोबार बंद करने का ऐलान किया था। सर्वप्रथम पिछले शुक्रवार को सिल्वर वैली बैंक में तालाबंदी हुआ। उसके दो दिन बाद न्यूयार्क स्थित एक और प्रमुख बैंक सिग्नेचर बैंक धराशायी हो गया।

सिल्वर वैली और सिग्नेचर बैंक का पतन अमरीकी इतिहास का दूसरा और तीसरा सबसे बड़ा बैंक पतन रहा है। इससे पहले वर्ष 2008 में मंदी के दौरान वाशिंगटन म्युचुअल के साथ हादसा हुआ जो अब तक के सबसे बड़ा बैंक संकट माना जाता है। तीन बैंकों के बंद होने से इसमें निवेश करने वाले अमरीकी निवेशकों के बीच असुरक्षा का माहौल है। डोनाल्ड ट्रंप के शासन में वर्ष 2018 में 250 बिलियन डॉलर से कम संपत्ति वाले क्षेत्रीय बैंकों डॉड फ्रैंक एक्ट से बाहर कर दिया गया था। उस वक्त सिल्वर वैली बैंक की कुल संपत्ति 209 बिलियन डॉलर थी। जैसे ही इस बैंक को 1.88 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ उसके बाद ग्राहकों में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई तथा लोग धड़ाधड़ बैंक से पैसे निकालने लगे।

हालांकि इस बैंक से जुड़े ग्राहकों के प्रति अमरीकी सरकार की कोई जिम्मेवारी नहीं है, इसके बावजूद अमरीकी सरकार ने आश्वासन दिया है कि उनकी पूंजी की गारंटी सरकार देगी। अमरीका में शुरू हुए बैंक संकट का असर फिलहाल भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि स्थानीय डिपॉजिट पर निर्भरता, सरकारी बांड में निवेश और पर्याप्त नकदी के चलते भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं। कुछ महीनों से भारतीय बैंक विदेशी बैंकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय बैंकों ने केवल 22-28 फीसदी सिक्योरिटी में निवेश किया है। बैंकों के सिक्योरिटी निवेश में 80 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बांड की है। यही कारण है कि आर्थिक मंदी का असर इस निवेश पर नहीं होगा।

भारतीय बैंकों के पास लंबे समय तक बने रहने वाला हाई क्वालिटीज डिपॉजिट है।  सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अमरीका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हिंडनबर्ग ने हाल ही में भारत के अडाणी समूह के संबंध में कई विवादास्पद खुलासे किये थे। ऐसे में लोगों ने अमरीकी घटनाक्रम से जोड़कर देखना शुरू कर दिया है। भारतीय लोगों का कहना है कि दूसरे के देश में ताकझांक करने वाली अमरीकी एजेंसी को अपने देश के बैंकों के प्रदर्शन के बारे में क्यों ध्यान नहीं गया? हिंडनबर्ग ने सिल्वर वैली बैंक एवं सिग्नेचर बैंक के बारे में अध्ययन क्यों नहीं किया? वर्तमान घटना से अमरीकी एजेंसियों की पक्षपातपूर्ण रवैए का पता चल जाता है।

हिंडनबर्ग जैसी एजेंसियां गुमराह करने वाली रिपोर्ट छाप कर भारतीय कंपनियों तथा अर्थ-व्यवस्था को बर्बाद करना चाहती हैं। निवेशकों को ऐसी एजेंसियों के पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट पर गौर नहीं करना चाहिए। भारत सरकार को भी अमरीका में हो रहे आर्थिक उथल-पुथल पर नजर रखने की जरुरत है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय देशों तथा अमरीकी अर्थ-व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। तेल एवं गैस की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच गई है। वैश्विक स्थिति को देखते हुए भारत को भी सतर्क रहने की जरुरत है। यह अच्छी बात है कि भारत की जीडीपी दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा है।