पंजाब एक बार फिर अशांति की ओर बढ़ रहा है। इसीलिए खालिस्तान समर्थक और कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह पर शिकंजा कसने के लिए पंजाब पुलिस लगातार तलाशी अभियान चला रही है। हालांकि इससे पहले खबरें आईं थीं कि अमृतपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने इस मामले में 78 लोगों को हिरासत में लिया है। पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह के खिलाफ हेट स्पीच समेत कई अन्य मामलों में केस दर्ज कर रखा है। इस बीच पूरे पंजाब में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। माहौल बिगडऩे की आशंका के मद्देनजर पंजाब में 20 मार्च तक मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई।
अमृतसर, फाजिल्का, मोगा और मुक्तसर समेत कई जिलों में धारा 144 लागू करने के साथ ही भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए हैं। हिमाचल और जम्मू-कश्मीर से लगती पंजाब की सीमा को सील कर दिया गया है। वहीं,अमृतपाल की गिरफ्तारी की खबरें आने के बाद उसके समर्थकों ने आनंदपुर साहिब में ऊना-चंडीगढ़ मार्ग, बरनाला-फरीदकोट हाईवे और मोहाली में एयरपोर्ट रोड पर जाम लगा दिया था। अमृतपाल के पैतृक स्थान अमृतसर के गांव जल्लूपुर खेड़ा के पास सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है। फिलहाल पुलिस अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने के लिए सर्च ऑपरेशन चला रही है। वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह के 7 समर्थकों को 4 दिन की रिमांड पर भेज दिया गया।
इन सभी को शनिवार को अमृतपाल सिंह के काफिले से पकड़ा गया था। दूसरी ओर चार लोगों को डिब्रूगढ़ जेल में रखा गया । कहा जा रहा है कि भगवंत मान की कमजोरी के कारण एक बार फिर खालिस्तान के समर्थन में लोग खड़े होने लगे हैं। इससे पंजाब की बदनामी हो रही है और यह किसी खतरे से कम नहीं है। उल्लेखनीय है कि खालिस्तान का मतलब भारत के पंजाब राज्य के सिख अलगाववादियों द्वारा प्रस्तावित राष्ट्र को दिया गया नाम है। खालिस्तान के क्षेत्रीय दावे में मौजूदा भारतीय राज्य पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली और इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इत्यादि राज्यों के भी कुछ क्षेत्र शामिल हैं। खालिस्तानी अलगाववादियों ने 29 अप्रैल 1986 को भारत से अपनी एकतरफा आजादी की घोषणा की और 1993 में खालिस्तान एनपीओ का सदस्य बना।
1980 और 1990 के दशक में खालिस्तान आंदोलन अपने चरम पर था। बाद में 1995 तक भारत सरकार ने इस आंदोलन को दबा दिया। उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद एक अलग सिख राष्ट्र की मांग शुरू हुई थी। 1940 मेें खालिस्तान का जिक्र पहली बार खालिस्तान नामक एक पुस्तिका में किया गया। 1947 के बाद प्रवासी सिखों के वित्तीय और राजनीतिक समर्थन तथा पाकिस्तान की आईएसआई के समर्थन से खालिस्तान आंंदोलन भारतीय राज्य पंजाब में फला-फूला और 1980 के दशक तक यह आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया। जगजीत सिंह चौहान के अनुसार 1971 के भारत-पाकिस्तान युुद्ध के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री जुुल्फिकार अली भुट्टों ने जगजीत सिंह चौहान के साथ अपनी बातचीत के दौरान खालिस्तान बनाने में मदद का प्रस्ताव रखा था। 1984 के दशक में उग्रवाद की शुरुआत हुई जो 1995 तक चली इस उग्रवाद को कुचलने के लिए भारत सरकार और सेना ने ऑपरेशन ब्लू स्टार, ऑपरेशन वुड रोज, ऑपरेशन ब्लैक थंडर 1 तथा ऑपरेशन ब्लैक थंडर-2 चलाए।
इन कार्यवाहियों से उग्रवाद तो बहुत हद तक खत्म हो गया पर इसमें कई आम नागरिकों की जान गईं तथा भारतीय सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगे। भारी पुलिस एवं सैन्य कार्रवाई तथा एक बड़ी सिख आबादी का इस आंदोलन से मोहभंग होने के कारण 1990 तक यह आंदोलन कमजोर पडऩे लगा जिसके कारण यह आंदोलन अपने उद्देश्य तक पहुंचने में विफल रहा, परंतु उसके बाद पंजाब की अभूतपूर्व उन्नति हुई, जो आज सबके सामने है, परंतु अमृतपाल सरीखे लोग एक बार फिर उसे हवा देने में लगे हैं, जो निहायत ङ्क्षचता का विषय है।