पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी पर पूरे पाकिस्तान में बवाल मचा हुआ है। राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो द्वारा पिछले 1 मई को जारी गिरफ्तारी का वारंट के बाद वहां के अर्द्धसैनिक बलों ने इमरान को इस्लामाबाद हाईकोर्ट परिसर से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी की खबर पूरे पाकिस्तान में आग की तरह फैल गई। उसके बाद पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। पाकिस्तान में पहली बार रावलपिंडी स्थिति सेना के मुख्लाय पर हमला हुआ जबकि लाहौर स्थित सेना के कमांडर के घर को पीटीआई के कार्यकर्ताओं ने आग के हवाले कर दिया। पूरे पाकिस्तान में धारा 144 लागू है जबकि इंटरनेट सेवा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने इमरान को अल कादिर ट्रस्ट विश्वविद्यालय के रेसीडेंसियल काम्प्लेक्स की जमीन को गैर कानूनी ढंग से हड़पने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इस मामले में इमखान की पत्नी बुशरा बीवी तथा पीटीआई के कुछ नेताओं के नाम भी शामिल हैं। आरोप है कि इमरान खान तथा उनकी पत्नी ने गैर कानूनी ढंग से इस जमीन को हड़पा जिसमें बड़ी हेराफेरी हुई है। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी के तरीकों पर नाराजगी व्यक्त की किंतु इमरान की गिरफ्तारी को वैध ठहरा दिया। फिलहाल इमरान जवाबदेही ब्यूरो के पुलिस कस्टडी में हैं। हालांकि इमरान का कहना है कि उन्हें जूठे अरापों में फंसाया जा रहा है। पाकिस्तान के गुप्तचर एजेंसी (आईएसआई) उनको मारना चाहती है। इमरान का यह भी कहना है कि पाकिस्तान में जम्हूरियत दफन हो चुकी है। इमरान की मुसीबत यहीं खत्म नहीं हो रही है, बल्कि तोशखाना मामले में भी इमरान फंस चुके हैं।
मालूम हो कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को जो देश-विदेशों से जो उपहार मिलता है उन्हें वहां के तोशखाना में सुरक्षित रखा जाता है। अगर प्रधानमंत्री उस उपहार को ले जाना चाहते हैं तो उन्हें कीमत चुकानी पड़ती है। ऐसा आरोप है कि इमरान खान ने कुल 14 करोड़ मूल्य के 58 उपहार को सस्ते में खरीदे तथा उनको महंगे दामों पर बेच दिया। इमरान खान इस तरह से शहबाज शरीफ के खिलाफ आक्रामक आंदोलन चला रहे थे उससे वहां की सरकार तथा सेना के सामने परेशानी आ रही थी। यही कारण है कि सरकार तथा सेना ने मिलकर इमरान को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार करवाया है। इस घटना के बाद जिस तरह प्रतिक्रिया सामने आ रही है, वह पाकिस्तान के लिए शुभ संकेत नहीं है। पहले से ही महंगाई एवं खराब अर्थ व्यवस्था से जूझ रहे पाकिस्तान को एक नई मुसीबत से रू-ब-रू होना पड़ेगा। इसका लाभ वहां सक्रिय आतंकी संगठन उठा सकते हैं। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी कोई नई बात नहीं है।
इससे पहले 1962 में पाक के पूर्व प्रधानमंत्री हुसैन शहीद सुहरावर्दी को जनरल अय्यूब खान के साथ मतभेद के चलते गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फार अली भुट्टों को भी गिरफ्तार किया गया था जिन्हें मार्शल लॉ के तहत 1979 में फांसी दे दी गई थी। उसके बाद बेनजीर भुट्टों को भी गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद युसूफ रजा गिलानी, नवाज शरीफ, शाहिद खाकान अब्बासी जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। ऐसा देखा जाता है कि जो प्रधानमंत्री वहां की सेना के साथ अपना तालमेल नहीं बैठा पाते हैं उनको किसी न किसी मामले में जेल की हवा खानी पड़ती है या अपनी जान गंवानी पड़ती है। पहले से ही जनआक्रोश का सामना कर रहे पाकिस्तान के लिए पीटीआई ने नई समस्या पैदा कर दी है।