पिछले 9 मई को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से ही पाकिस्तान सुलग रहा है। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ (पीटीआई) के समर्थकों द्वारा उग्र विरोध करने के बाद पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया। उसके बाद से ही पाकिस्तानी सरकार एवं सेना तथा न्यायपालिका के बीच वाक युद्ध शुरू हो गया है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इमरान खान का समर्थन करने के लिए कटघड़े में खड़ा किया है। नवाज की पार्टी के नेताओं ने मुख्य न्यायाधीश से इस्तीफे तक की मांग कर दी है। पाकिस्तान में सत्ता का खेल अब चरम पर पहुंच गया है। एक तरफ सेना तथा शहबाज सरकार खड़ी है तो दूसरी तरफ इमरान और न्यायपालिका है। पाकिस्तान में पहली बार इमरान के मुद्दे पर सेना दो भाग में बंट चुकी है। सेनाध्यक्ष असीम मुनीर को सेना की साख बचाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
पाकिस्तानी सेना ने लाहौर के कोर कमांडर सहित कई सैनिक अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है या उनको गिरफ्तार कर लिया है। इससे पता चलता है कि वहां की सेना में भी सबकुछ ठीकठाक नहीं है। एक तरफ इमरान की पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उसके समर्थन में सड़कों पर हैं तो दूसरी तरफ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी एवं पीडीएम के कार्यकर्ता सुप्रीम कोर्ट के बाहर इमरान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इमरान को डर है कि पाकिस्तानी सेना उन्हें आर्म्स एक्ट के तहत दस साल की जेल की सजा सुना सकती है एवं उनकी पार्टी पीटीआई पर प्रतिबंध लगा सकती है। उनको यह भी डर है कि उनकी पत्नी बुशरा बीवी को गिरफ्तार भी कर सकती है। कुल मिलाकर पाकिस्तान की स्थिति काफी विस्फोटक है। पहली बार रावलपिंडी स्थित सेना मुख्यालय में तोड़फोड़ की घटना हुई, जबकि एक कोर कमांडर का घर भी जला दिया गया। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह बहुत बड़ा झटका है।
पाकिस्तानी हुक्मरानों ने यह स्वीकार किया है कि पड़ोसी देश भारत ने जितना 75 वर्ष में नुकसान नहीं पहुंचाया उतना इमरान के समर्थकों ने नुकसान पहुंचाया है। सेना की गिरती साख को देखते हुए सेनाध्यक्ष मुनीर ने अब कड़ा रुख अपनाने का संकेत दिया है। लाहौर हाईकोर्ट द्वारा 16 मई को इमरान की अग्रिम जमानत 8 जून तक बढ़ाने को लेकर भी सियासत तेज हो गई है। सत्ताधारी पार्टी ने न्यायपालिका पर इमरान के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया है। वहां पहली बार जनता या कोई राजनीतिक पार्टी खुलकर सेना के खिलाफ सड़कों पर उतर चुकी है। चारों तरफ अराजकता माहौल है। आतंक को पोषित करने वाला पाकिस्तान अब आतंक की ज्वाला में ही जल रहा है। तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान में पहले से ही शहबाज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार के सत्ता में आने के बाद वहां सक्रिय आतंकी खुलेआम अपनी गतिविधियां चला रहे हैं।
पाकिस्तान उन आतंकी संगठनों को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की साजिश कर रहा था, किंतु भारत की कूटनीति ने उसके तमाम इरादों पर पानी फेर दिया। लाहौर उच्च न्यायालय द्वारा हिंसा भड़काने एवं राजद्रोह से संबंधित दो मामले में अग्रिम जमानत देने से इमरान की मुसीबत थोड़ी कम जरूर हुई है किंतु अभी भी सेना की तरफ से खतरा मंडरा रहा है। गिरफ्तारी के बाद से ही पाकिस्तान में इमरान के प्रति समर्थन बढ़ा है। अगर आज के समय में चुनाव हुए तो फिर से सत्ता इमरान के पास होगी। भारत को पाकिस्तान में होने वाली गतिविधियों पर पैनी नजर रखनी होगी। अपने घरेलू समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तानी सेना भारतीय सीमा में घुसपैठ कर सकती है। लेकिन वहां की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ऐसा संभव नहीं लग रहा है। भारत को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना पड़ेगा।