प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान, पापुआ न्यू गिनी तथा आस्ट्रेलिया के दौरे के दौरान भारत का मुख्य फोकस हिंद प्रशांत देशों पर रहा है। चीन ङ्क्षहद प्रशांत के छोटे-छोटे देशों को अपने कर्ज जाल में फंसाकर अपनी पैठ मजबूत कर रहा था। आस्ट्रेलिया और जापान के बीच स्थित पापुआ न्यू गिनी छोटा देश होने के बावजूद रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। अमरीका, फ्रांस तथा आस्ट्रेलिया जैसे देश हिंद प्रशांत क्षेत्र के देशों की की मदद करते थे ङ्क्षकतु खराब आॢथक स्थिति के कारण फ्रांस तथा अंदरुनी स्थिति के कारण आस्ट्रेलिया ने अपने हाथ खींच लिए। अमरीका भी अब पहले की तरह इन देशों का मददगार नहीं रहा।

यही कारण है कि चीन धीरे-धीरे इन देशों में अपना निवेश बढ़ाकर इनको अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है। चीन मनमाफिक सत्ता परिवर्तन कराकर इन देशों की नीति तय करने में भी भूमिका लगा है। जापान में जी-7 और क्वाड की बैठक के दौरान पश्चिमी देशों ने ङ्क्षहद प्रशांत क्षेत्र के देशों को बचाने की जिम्मेवारी भारत को सौंपी है। पूर्वी लद्दाख एवं तवांग में हुई झड़प के बाद भारत और चीन के बीच वर्ष 2020 से ही सीमा पर तनातनी चल रही है। चीन भारत को घेरने के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान, श्रीलंका, म्यामां एवं बांग्लादेश में अपनी सामरिक पैठ मजबूत कर भारत को घेरने में लगा है।

ऐसी स्थिति में भारत को भी चीन के पड़ोसी देशों में अपनी सामरिक स्थिति मजबूत कर उचित जवाब देने का मौका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिले इस अवसर का फायदा उठाते हुए पापुआ न्यू गिनी में आयोजित एफआईपीआईसी शिखर सम्मेलन में भाग लेने का निर्णय ले लिया। 14 छोटे-छोटे देशों का यह संगठन भारत की तरफ आशापूर्ण दृष्टि से देख रहा था क्योंकि ये देश चीन की विस्तारवाद नीति से त्रस्त हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय प्राथमिकताओं पर विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया। पापुआ न्यू गिनी ने प्रधानमंत्री का प्रोटोकाल से हटकर भव्य स्वागत किया।

मालूम हो कि पापुआ न्यू गिनी में सूर्यास्त के बाद किसी विदेशी मेहमान का स्वागत नहीं किया जाता है ङ्क्षकतु मोदी के लिए वहां के प्रधानमंत्री ने अपने देश की परंपराओं को तोड़ दिया। वहां के प्रधानमंत्री द्वारा मोदी का पैर छूकर आशीर्वाद देने का विडीयो दुनिया में वायरल हो रहा है। भारत ने भी दरियादिल दिखाते हुए इन देशों की सहायता करने का निर्णय लिया है। भारत ने लाइन ऑफ क्रेडिट के जरिए इन देशों की सहायता करेगा। भारत इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य, शिक्षा, अक्षय ऊर्जा सहित विभिन्न क्षेत्रों में इन देशों की सहायता करेगा। भारत ने इन देशों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 12 सूत्री एक्शन प्लान भी तैयार किया है।

आईटी एवं साइबर सिक्योरोटी ट्रेङ्क्षनग के लिए भारत इन देशों का मदद करेगा। सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए भारत इन देशों के युवकों को स्किल ट्रेङ्क्षनग देगा एवं निवेश भी करेगा। समुद्र में जन औषधी केंद्र एवं एंबुलेंस सेवा शूरू करने की पहल करेगा ताकि इन देशों की स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार किया जा सके। प्राकृृतिक संपदा से भरपूर हिंद  प्रशांत महासागर क्षेत्र के देशों में संसाधनों की कमी है। ये देश चाहते हैं कि भारत उनकी मदद करे क्योंकि चीन उनको हड़पने की ताक में है। ऐसी खबर है कि चीन पापुआ न्यू गिनी में अपना नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता था हिंद  भारत की एंट्री के साथ ही चीन के मंसूबों पर पानी फिर गया है। आस्ट्रेलिया और जापान भी चाहते हैं कि भारत इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पैठ बनाए।

भारत की इस पहल से चीन को करारा झटका लगा है। सीमा विवाद के बाद भारत चीन को हर मोर्चे पर करारा जवाब दे रहा है। प्रधानमंत्री पापुआ न्यू गिनी की यात्रा के बाद आस्ट्रेलिया पहुंचे हैं। आस्ट्रेलिया भी भारत के साथ मिलकर चीन की नकेल सकने की पूरी कोशिश में है। क्वाड भी इस दिशा में काम कर रहा है। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री की वर्तमान यात्रा चीन को कड़ा संदेश देने के लिए कारगर साबित होगी।