चीन की ओर से लगातार बढ़ रही चुनौती को देखते हुए भारतीय नौसेना ने अरब सागर में युद्धाभ्यास किया। नौसेना के दोनों युद्ध पोतों आईएनएस विक्रमादित्य एवं आईएनएस विक्रांत ने अपनी पूरी क्षमता के साथ हिस्सा लिया। आईएनएस विक्रमादित्य को रूस ने तैयार  किया है, जबकि आईएनएस विक्रांत को भारत में तैयार किया गया है। विक्रांत का अभी ट्रायल भी चल है, जो पूरी तरह ऑपरेशन के लिए तैयार है। इन दोनों युद्ध पोतों के साथ-साथ जंगी जहाज, पनडुब्बी एवं 35 लड़ाकू विमानों ने भी युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया। अरब सागर में युद्धाभ्यास कर भारत ने पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि भारत किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार है। अभी भारत के पास कुल 16 पनडुब्बी मौजूद है जिसमें एक पनडुब्बी अरिहंत परमाणु चालित है। अधिकांश पनडुब्बियां पुरानी हो चुकी हैं। भारत ने 2027 तक पनडुब्बियों की संख्या 16 से बढ़ाकर 24 करने का लक्ष्य रखा है। भारत 6 पारंपरिक पनडुब्बी के निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू कर चुका है।

जर्मन की कंपनी तथा दक्षिण कोरिया की कंपनी के बीच बातचीत अंतिम दौर में पहुच चुकी है। इस सिलसिले में जर्मनी के रक्षा मंत्री भारत के दौरे पर आये थे। ऐसी उम्मीद है कि 45 हजार करोड़ की यह डील जर्मन कंपनी के पाले में जा सकती है। आईएनएस विक्रांत पर मिग-29 के, हल्के लड़ाकू देशी हेलिकॉप्टर तथा अमरीका की रोमियो हेलिकॉप्टर को तैनात किया जाएगा। रोमियो हेलिकॉप्टर का लोहा पूरी दुनिया मानती है। भारत अपने तीसरे युद्ध पोत पर भी काम करने के लिए कदम बढ़ा चुका है। मालूम हो कि पिछले कुछ वर्षों से हिंद महासागर में चीनी सेना की गतिविधियां बढ़ गईं हैं। अरब सागर में युद्धाभ्यास करने का मतलब यह है कि पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह चीन के कब्जे में  है। अतः भारत को हिंद महासागर के साथ-साथ अरब सागर पर भी नियंत्रण करना होगा। चीन के पास भी अभी दो युद्ध पोत हैं जबकि वह और दो युद्ध पोतों के निर्माण में लगा हुआ है। भारत ने अपने जंगी जहाजों से परमाणु हथियार दागने की क्षमता भी विकसित किया है।

युद्ध की स्थिति में जमीन एवं हवा से परमाणु हथियार दागने की प्रणाली नष्ट होने से पानी एक विकल्प बचता है। भारत ने इसको ध्यान में रखते हुए अपने सबसे तेज मिसाइल ब्रह्मोस को इस तरह विकसित किया है ताकि उसे जमीन, हवा एवं पानी तीनों प्लेटफॉर्म से दागा जा सके। प्रधानमंत्री मोदी की अमरीका यात्रा के दौरान चीन को नियंत्रित करने के लिए विशेष रणनीति बनाए जाने की उम्मीद है। भारत और अमरीका के बीच पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के लिए भारत में ही जेट इंजन बनाने तथा दुनिया के सबसे खतरनाक ड्रोन एमक्यू-9 की खरीद पर भी अंतिम मुहर लग सकती है। एमक्यू-9 के नौ ड्रोन नौसेना के लिए खरीदे जाने की उम्मीद है। वर्ष 2020 से ही लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत-चीन सीमा पर तनातनी बनी हुई है। दोनों देशों की सेनाएं एक-दूसरे के सामने डटी हुई हंै। ऐसी स्थिति में भारत अपनी सामरिक तैयारी को लगातार विकसित कर रहा है। नए-नए मिसाइलों का परीक्षण हो रहा है तथा तीनों सेनाओं की मारक क्षमता बढ़ाई जा रही है। युद्धाभ्यास के माध्यम से भारतीय नौसेना अपनी ताकत की समीक्षा कर रही ताकि कमियों को दूर किया जा सके।