पिछले डेढ़ महीने से पूर्वोत्तर का सीमावर्ती राज्य मणिपुर धधक रहा है। कानून एवं व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई है। लगातार हो रही ङ्क्षहसात्मक घटनाओं में अब तक सौ से ज्यादा लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ी है, जबकि हजारों लोग बेघर हुए हैं। कई लोगों ने तो मणिपुर छोड़कर पड़ोसी राज्यों में शरण ली है। पिछले तीन मई से शुरू हुआ आंदोलन आज खतरनाक दौड़ में पहुंच चुका है। कुकी और मैतेई समुदाय के बीच शुरू हुआ संघर्ष रूकने का नाम नहीं ले रहा है।

प्रदर्शनकारियों ने इंफाल स्थित विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन ङ्क्षसह का घर जला दिया। स्थिति इतनी भयावह है कि अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल एल. निशिकांत ङ्क्षसह ने ट्विट कर यह कहा है कि मणिपुर स्टेट अब स्टेटलेस हो गया है। मणिपुर में कुकी उग्रवादियों एवं समाज विरोधी तत्वों को नियंत्रित करने में सुरक्षा बल विफल हो रहे हैं। इस तरह की घटना को रोकने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स की जरूरत है। मणिपुर पुलिस तथा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल घटना को रोकने में सफल नहीं हो रहे हैं। 17 जून को इंफाल शहर में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़प हुई।

मणिपुर के विष्णुपुर तथा चुराचांदपुर जिलों में उपद्रवियों ने थाने में लूटपाट की तथा कई इमारतों में आग लगा दी। विधायक विश्वजीत तथा मणिपुर भाजपा की महिला शाखा की अध्यक्ष शारदा देवी के घर में भी आग लगाने की कोशिश की गई। स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि बचने के लिए मैतेई समुदाय के मुस्लिम नागरिकों ने अपने इलाके में मुस्लिम एरिया होने का बोर्ड तक लगा दिया है। कुकी उग्रवादियों ने अभी तक मैतेई ङ्क्षहदू को ही ज्यादातर निशाना बनाया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया था। चार दिन रहकर शाह ने स्थिति को संभालने के लिए कई तरह की घोषणाएं की थी। लेकिन स्थिति अभी तक कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है।

पंजाब में 80 के दशक में तथा जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में जैसी स्थिति थी, वैसी ही स्थिति आज मणिपुर में हो गई है। वहां की राजनीतिक पाॢटयां एवं संगठनों का केंद्रीय नेतृत्व के प्रति विरोध बढ़ता जा रहा है। सबसे ज्यादा शिकायत उन लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने अभी तक मणिपुर की स्थिति पर कोई बयान नहीं दिया है। एक तरफ मणिपुर जल रहा है तो दूसरी तरफ प्रधानमंत्री की चुप्पी समझ में नहीं आ रही है। अनेक राजनीतिक दलों ने इस बारे में प्रधानमंत्री की आलोचना भी की है तथा सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है। 11 विपक्षी दलों का कहना है कि मणिपुर की जो वर्तमान स्थिति है उसको राष्ट्रहित के नजरिए से देखने की जरूरत है। सीमावर्ती राज्य होने के कारण मणिपुर में हो रही घटनाएं ङ्क्षचता का विषय है

अगर इस घटना के पीछे कुकी उग्रवादियों का हाथ है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री को दोबारा मणिपुर का दौरा कर स्थिति को संभालने का प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी बयान जारी कर सरकार से मणिपुर की स्थिति संभालने का अनुरोध है। इसी तरह दूसरे संगंठनों ने भी आगे आकर लोगों से शांति बनाने की अपील की है। केंद्र सरकार को मैतेई एवं कुकी समुदाय के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं के समाधान की कोशिश करनी चाहिए।