पिछले रविवार की शाम कनाडा के एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के सुप्रीमो हरदीप ङ्क्षसह निज्जर की दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत स्थित गुरुनानक सिख गुरुद्वारा की पार्किंग में हुई थी। इस आतंकी पर जांच एजेंसी एनआईए ने दस लाख रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा था। अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। ऐसा आरोप है कि निज्जर पंजाब में आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए कनाडा में रहकर काम कर रहा था। जुलाई 2020 में यूएपीए के तहत भारत सरकार ने उसे आतंकवादी घोषित कर रखा था तथा एनआईए ने सितंबर 2020 में उसकी संपत्ति कुर्क की थी। 2016 में इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था। भारत के बाहर कुख्यात आतंकियों की लक्षित हत्याओं का यह नवीनतम मामला है।

इससे पूर्व मई में एक और वांछित खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पंजवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने पंजाब के लाहौर प्रांत में गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह घटना उस वक्त हुई जब वे अपने आवास के पास सुबह की सैर के लिए बाहर निकला था। पंजवार खालिस्तान कमांडो फोर्स का प्रमुख था तथा वह लाहौर में रहकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा था। केंद्रीय सहकारी बैंक में नौकरी करने के दौरान उसकी मुलाकात कुख्यात खालिस्तानी आतंकी लाभ ङ्क्षसह के साथ हुई थी। 1990 में पंजाब में जब अलगाववाद की लहर तेज हुई थी उसमें इसका बड़ा हाथ रहा है। पंजाब के तरणतारण में घर होने के कारण वह आसानी से पाकिस्तान आता-जाता रहता था। वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल ङ्क्षसह का दाहिना हाथ अवतार ङ्क्षसह खांडा की भी पिछले सप्ताह ब्रिटेन में मौत हो गई।

ऐसा आरोप है कि किसी ने उसे जहर दे दिया। लेकिन एक अन्य सूत्र का कहना है कि अवतार ङ्क्षसह को ब्लड कैंसर था। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के लिए भीड़ जुटाने तथा भारत का ध्वज उतारने जैसे मामले में इसका हाथ था। कुछ एजेंसियों को शक है कि इन तीनों हत्याओं में भारतीय गुप्तचर एजेंसी रॉ का हाथ हो सकता है। हालांकि अभी तक इस बारे में कुछ भी पुष्टि नहीं हुई है। जिस वक्त भारत में किसान आंदोलन पूरे सबाब पर था उस वक्त खालिस्तानी आतंकियों ने अपनी जड़ मजबूत करने की पूरी कोशिश की। कनाडा में रहने वाले सिख फॉर जस्टिस के प्रमुख पन्नू ने सीधे-सीधे भारत सरकार को धमकी दी थी। वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल ङ्क्षसह ने तो पंजाब में अपनी अलग बटालियन का निर्माण भी शुरू कर दिया था। सिख युवकों की भर्ती से लेकर उनके लिए हथियार को भी इका करना शुरू कर दिया था।

उसका दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा था। स्थिति बेकाबू होते देखकर केंद्र सरकार को हरकत में आना पड़ा। पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने मिलकर अमृतपाल एवं उनके समर्थकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की। इसका नतीजा यह हुआ कि अमृतपाल और उनके समर्थक भी सलाखों के पीछे हैं। केंद्र सरकार ने कनाडा, आस्ट्रेलिया एवं अमरीका में खालिस्तानियों की बढ़ रही गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कूटनीतिक प्रयास भी तेज किया है। इन देशों पर दबाव डाला गया कि वह खालिस्तानियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे तथा भारतीय दूतावासों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए। भारत सरकार की पहल का नतीजा यह हुआ कि इन देशों की सरकारों ने एक्शन लेना शुरू कर दिया है।