वैसे तो लोकसभा चुनाव के होने में अभी 10-11 महीने का समय बाकी है। बावजूद इसके सभी राजनीतिक पाॢटयां अभी से ही चुनावी मोड में आ गई हैं। एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीसरी बार पीएम की कुर्सी दिलाने के लिए एनडीए, आरएसएस और उसके सहयोगी संस्थान जुट गए हैं, वहीं बिहार की राजधानी पटना में 15 दलों के नेता 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी सहित एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर लडऩे की रणनीति बनाने में जुटे। उनका मकसद नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने से रोकना है।  इस मौके पर तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन से लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तक ने भाग लिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (सीएम) ममता बनर्जी व कई अन्य नेता बृहस्पतिवार की शाम ही पटना पहुंच गए थे। ममता ने राबड़ी देवी के आवास  पर जाकर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की और पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया। इस भेंट के बाद ममता ने कहा कि लालू जी बहुत तगड़ा हैं, बीजेपी के खिलाफ ठीक से लड़ सकते हैं।

पटना पहुंचने के बाद राहुल गांधी कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम पहुंचे और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देश में दो विचारधारा की लड़ाई चल रही है।  एक तरफ कांग्रेस की भारत जोड़ो विचारधारा है तो दूसरी तरफ बीजेपी-आरएसएस की भारत तोड़ो विचारधारा है। अब हम सब मिलकर बीजेपी के खिलाफ लड़ेंगे, उसे हराएंगे। शुक्रवार दोपहर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर शुरू हुई बैठक में कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू, आप, जेएमएम, एनसीपी, शिवसेना, टीएमसी, सपा, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, सीपीआई, सीपीआई (एमएल), सीपीएम व डीएमके के 27 नेताओं ने भाग लिया, इनमें पांच वर्तमान व छह पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इन नेताओं में राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खडग़े, शरद पवार, ममता बनर्जी, एम के स्टालिन, अरविंद केजरीवाल, भगवंत सिंह मान, डी राजा, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुला, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव प्रमुख थे। बिहार की धरती कई ऐसे आंदोलनों की जननी रही है, जिसका देश राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा। महात्मा गांधी का चंपारण सत्याग्रह रहा हो या फिर जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति, इन आंदोलनों ने तत्कालीन सत्ता की नींव हिलाकर रख दी थी।

लालू प्रसाद ने भी समय-समय पर अपनी रैलियों से कभी जनाधार का प्रदर्शन किया था। तीन घंटे से अधिक समय तक चली इस बैठक में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए 15 दलों के क्षत्रपों ने एकसाथ चलने की रणनीति पर काम करने का निश्चय किया। इन पार्टियों के बीच एक सीट पर बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का एक प्रत्याशी देने, गठबंधन के नाम, सीट शेयरिंग के फार्मूले व कॉमन एजेंडा आदि पर चर्चा हुई।  उम्मीद थी कि विपक्षी गठबंधन का संयोजक नीतीश कुमार को बनाने की घोषणा की जाएगी, किंतु मल्लिकार्जुन खडग़े ने बैठक के बाद कहा कि अब इस पर निर्णय शिमला में 10 से 12 जुलाई के बीच होने वाली अगली बैठक में लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिमला की बैठक में एजेंडा बनाया जाएगा। हरेक राज्य में कैसे काम करना होगा,इस पर चर्चा हुई है। हर राज्य के लिए अलग रणनीति तैयार की जाएगी। ममता बनर्जी ने कहा कि इस बैठक में तीन बातों पर सहमति बनी। 

पहली कि हम सभी एक हैं, दूसरी कि हम सब साथ लड़ेंगे और तीसरी कि हमारी लड़ाई जनता के लिए है। यदि इस बार बीजेपी फिर से सत्ता में आ गई तो अगला चुनाव ही नहीं होगा, वहीं, नीतीश कुमार ने कहा कि इस बैठक में सभी नेताओं ने अपनी-अपनी बात रखी। मल्लिाकार्जुन खडग़े के नेतृत्व में अगली बैठक होगी। उसमें गठबंधन का नाम, संयोजक व शीट शेयरिंग के फार्मूले जैसी आगे की बातों को तय किया जाएगा। नीतीश कुमार के इस फार्मूले से बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगर नया समीकरण बना तो 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी समेत एनडीए को करीब 351 सीटों पर कड़ी टक्कर का सामना करना होगा, जिन राज्यों के प्रमुख नेताओं की इस बैठक में भागीदारी रही, उनमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, झारखंड, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश व दिल्ली को मिलाकर लोकसभा की कुल 283 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस शासित चार राज्यों में 68 सीटें हैं।