भारत की अध्यक्षता में वर्चुअल आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठा। एससीओ देशों के प्रमुखों की बैठक को वर्चुअल संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद, खासकर सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाकर दो पड़ोसी देशों पाकिस्तान एवं चीन को कड़ा संदेश दिया है। चीन भी भारत में आतंकी गतिविधियों का बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान का समर्थन करता रहता है। वर्ष 2001 में चीन के शंघाई प्रांत में आयोजित सम्मेलन के दौरान एससीओ का गठन हुआ था। वर्ष 2005 में भारत को पर्यवेक्षक के रूप में इस सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था।
वर्ष 2017 में अस्ताना में आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत को पूर्ण सदस्यता का दर्जा मिला। सितंबर 2022 से भारत एससीओ की एक वर्ष के लिए अध्यक्षता कर रहा है। इस सम्मेलन में तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गए हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र संघ एवं आसियान सहित छह अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठन पर्यवेक्षक के रूप में हिस्सा ले रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के साथ-साथ अफगानिस्तान की स्थिति के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी आतंकवाद एवं अफगानिस्तान के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। आश्चर्य की बात यह है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी आतंकवाद के मुद्दे पर मिलकर लड़ने का आह्वान किया। शरीफ की कथनी और करनी का फर्क साफ झलक रहा है। जो पाकिस्तान आतंकवाद की जननी है वह एससीओ के मंच से उपदेश दे रहा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सदस्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। सम्मेलन के दौरान आतंकवाद एवं अफगानिस्तान के अलावे यूक्रेन युद्ध से पड़ने वाले प्रभावों, सदस्य देशों के बीच संपर्क एवं व्यापार बढ़ाने, क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने एवं पर्यावरण की रक्षा पर विस्तार से चर्चा हुई।
यह सबको मालूम है कि चीन की विस्तारवादी नीति उसके सभी पड़ोसी देशों के लिए चुनौती बनी हुई है। पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक चीन की घुसपैठ वाली नीति से भारत परेशान है। पिछले तीन वर्षों से सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव बना हुआ है। भारत के दोनों पड़ोसी चीन और पाकिस्तान सिरदर्द बने हुए हैं। भारत ने अपने पक्ष को सभी सदस्य देशों के सामने रखा है, किंतु चीन एवं पाकिस्तान जैसे देशों से सहयोग की उम्मीद नहीं है। आतंकवाद वैश्विक एवं क्षेत्रीय शांति के लिए बड़ा खतरा है, जिसके लिए सभी को मिलकर काम करने की जरुरत है। भारत एससीओ में शामिल होकर मध्य एशियाई देशों के साथ अपने संबंध को मजबूत करना चाहता है। मध्य एशियाई देशों के साथ भारत की कई बार बैठकें भी हो चुकी है। रूस के दबाव में भारत ने इस संगठन से अपना नाता जोड़ा है। कुल मिलाकर भारत इस मंच से दुनिया को अपना संदेश देने में सफल रहा है।