प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच स्कॉर्पीन पनडूब्बी के लिए एक समझौता हुआ है। फ्रांस भारतीय नौसेना के लिए स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के निर्माण सहित कई रक्षा परियोजनाओं में मिलकर काम करेगा। दोनों देशों ने फाइटर जेट एवं हेलीकॉप्टर इंजन के संयुक्त विकास के लिए भी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पहले ही नौसेना के लिए तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों और 26 राफेल एम समुद्री लड़ाकू जेट खरीदने के लिए प्रस्तावों को मंजूरी दे दी थी। प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा भारत के रक्षा क्षेत्र के नजरिए से काफी खास रही। दोनों देशों के बीच तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद की घोषणा हुई। उसके बाद तीन अन्य पनडुब्बियों का निर्माण भारत में किया जाएगा। पहले ही फ्रांस प्रोजेक्ट 75 के तहत 6 स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है।
छह में से पांच पनडुब्बियां पहले ही चालू हो चुकी हैं और आखिरी अगले साल की शुरूआत में चालू होने की संभावना है। इसके बावजूद भारत को चीन की बढ़ती चुनौती को देखते हुए और पनडुब्बियों की जरूरत है। यही कारण है कि भारत फ्रांस से तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन श्रेणी के पनडुब्बियों को खरीद रहा है। फिलहाल नौ सेना के पास 16 पारंपरिक पनडुब्बियां हैं। इनमें से सात ङ्क्षसधू श्रेणी (रूसी किलो श्रेणी, चार शिशुमार श्रेणी, (संशोधित जर्मन टाइप-209) और पांच कलवरी श्रेणी (फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी) की हैं। हालांकि अपने सभी ऑपरेशनों को अंजाम देने के लिए नौसेना को कम से कम 18 ऐसे पनडुब्बियों की आवश्यकता है। बीच-बीच में कई पनडुब्बियों की मरम्मत होती है जिससे परिचालन पनडुब्बियों की ताकत में और कमी आ जाती है। फ्रांस से खरीदी जाने वाली पनडुब्बियों से न केवल नौसेना के जरूरी फोर्स लेबल और ऑपरेशन तत्परता को बनाए रखने में मदद मिलेगी, जबकि घरेलू क्षेत्र में भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। भारत फ्रांस से 26 राफेल एम खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है।
इस पर प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान मुहर लगने की उम्मीद थी, ङ्क्षकतु अभी तक इस बारे में दोनों ही सरकार की तरफ से कोई खुलासा नहीं किया गया है। भारत को अपने युद्धपोत विक्रमादित्य एवं विक्रांत के लिए उच्च तकनीक वाले नौसैनिक विमान की जरूरत है। देखना है कि इस बारे में सरकार आगे क्या रुख अपनाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मेक्रो ने ङ्क्षहद प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा एवं शांति सुनिश्चित करने के लिए भी मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की है। ङ्क्षहद प्रशांत क्षेत्र में फ्रांस के तीन नौसैनिक अड्डे हैं जिसका इस्तेमाल भारत भी कर सकता है। ङ्क्षहद प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी से उसके पड़ोसी देश परेशान हैं। ऐसी स्थिति में भारत और फ्रांस मिलकर चीन की विस्तारवादी नीति को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस के ऐतिहासिक राष्ट्रीय समारोह बैस्टिल डे परेड में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उस दौरान आयोजित परेड में भारत के तीनों सेनाओं की टुकडिय़ों ने हिस्सा लिया था। उल्लेखनीय है कि फ्रांस 1998 से ही भारत का रणनीतिक सहयोगी रहा है। रक्षा, आॢथक निवेश, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, व्यापार एवं तकनीक के क्षेत्र में मिलकर काम कर रहा है। हाल के वर्षों में भारत और फ्रांस के बीच कूटनीतिक संबंध भी और मजबूत हुए हैं। जब भी भारत को जरूरत हुई फ्रांस ने आगे आकर मदद की है। इससे पहले भारत ने फ्रांस से वायु सेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदा था। फ्रांस के साथ हुए रक्षा समझौते से भारत की नौसेना की ताकत निश्चित रूप से बढ़ेगी। फ्रांस के नौसैनिक अड्डों के इस्तेमाल करने की अनुमति मिलने से भारत को चीन के खिलाफ अपनी गतिविधियां बढ़ाने में काफी सहायक होगी।