मणिपुर में पिछले चार  मई को कुकी समुदाय की दो महिलाओं का आपत्तिजनक वीडियो आज वायरल होने के साथ ही मणिपुर में फिर से तनाव बढ़ गया है। सड़क से लेकर संसद तक मणिपुर ङ्क्षहसा की गूंज सुनाई दे रही है। पिछले 3 मई से ही मणिपुर जातीय ङ्क्षहसा की चपेट में है। जिसमें अब तक 160 लोगों की जानें जा चुकी हैं। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद हिंसा शुरू हुई। मणिपुर में पहले पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले कुकी एवं नगा समुदाय सहित दूसरे जनजातीय लोगों को विशेष अधिकार प्राप्त है। लेकिन मणिपुर हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मैतेई समुदाय के लोगों को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया है। इसी को लेकर ढाई महीनों से ज्यादा समय से मणिपुर जल रहा है। दो कुकी महिलाओं की आपत्तिजनक वीडियो जारी होने के बाद आदिवासी संगठन इंडिजिनस ट्राइबल लीड्र्स फोरम ने आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

इंफाल से करीब 35 किलोमीटर दूर यह घटना हुई है। मणिपुर में चल रही ङ्क्षहसा के दौरान उपद्रवियों ने 4537 हथियार एवं 6.36 लाख गोली लूट लिया है। अभी भी लगभग तीन हजार हथियार एवं 6 लाख से ज्यादा गोली आतंकियों के पास है। कुकी आतंकी संगठन जिन्होंने केंद्र सरकार के साथ संघर्ष विराम किया था, उन संगठनों ने फिर से समझौता तोड़ दिया है। अब पूरे मामले में केंद्र सरकार राज्य सरकार तथा सुप्रीम कोर्ट आमने-सामने आ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर की घटना को भारत के 140 करोड़ जनता के लिए शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा कि इस घटना के लिए जो भी दोषी होंगे उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने इस मामले को स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार को फटकार लगाई है तथा कहा है कि अगर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं किया तो सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ेगा।

इंडिजिनस ट्राइबल लीड्र्स फोरम ने भी केंद्र एवं राज्य सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग से इस मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया है। अब यह मामला संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा एवं राज्यसभा में उठा। विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर के मामले पर केंद्र सरकार को घेरने का प्रयास किया। हंगामे के कारण आज संसद के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा में कोई काम नहीं हो पाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा में चर्चा कराने की मांग की। सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से ऐसा ही मांग किया। विपक्षी दलों का आरोप है कि प्रधानमंत्री मणिपुर के मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं जो देश हित में नहीं है। मालूम हो कि मणिपुर के लगभग दस प्रतिशत मैदानी इलाके में ङ्क्षहदू समुदाय के मैतेई लोग रहते हैं, जिनकी आबादी मणिपुर की कुल आबादी का 57 प्रतिशत है। दूसरी तरफ मणिपुर का लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ी क्षेत्र में 43 प्रतिशत कुकी एवं नगा सहित कुल 33 जनजातीय लोग रहते हैं।

अभी मणिपुर विधानसभा की कुल क्षमता 60 सीटों की है जिसमें 40 सीट मैतेई समुदाय के पास है, जबकि कुकी, नगा एवं दूसरे समुदाय के पास 20 सीट है। मैतेई समुदाय की मांग थी कि उनको भी कुकी और नगा की तरह धारा 371 का सुरक्षा गार्ड मिले। कुल मिलाकर मणिपुर की स्थिति लगातार जटिल होती जा रही है। सीमावर्ती राज्य होने के कारण इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। मणिपुर की अस्थिरता का फायदा का उठाकर आतंकी संगठन फिर से सक्रिय हो गए हैं। म्यामां में सक्रिय मणिपुर के आतंकी संगठनों को चीन और म्यामां से सहयोग एवं समर्थन मिल रहा है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार एवं सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने की जरूरत है।

उम्मीद है कि संसद के वर्तमान सत्र के दौरान मणिपुर की समस्या के समाधान के लिए पक्ष और विपक्ष के बीच कोई ठोस सहमति बन सकती है। आतंकियों द्वारा लूटे गए हथियार में 2900 ऐसे हथियार हैं जो घातक श्रेणी के हैं। केंद्रीय एजेंसियों को इन हथियारों की वापसी के लिए कार्य योजना बनाकर पहल करनी चाहिए।