जो देश दूसरे को परेशान करने के लिए आतंकियों को पालन-पोषण करता है वह कभी न कभी अपने ही बुने जाल में फंस जाता है। यही हाल अभी पड़ोसी देश पाकिस्तान की है। पाकिस्तान भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैएबा, हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों को प्रशिक्षण देकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करता रहा है। पाकिस्तानी सेना एवं गुप्तचर एजेंसी आईएसआई इन आतंकी संगठनों को आश्रय देता रहा है। अभी वही पाकिस्तान आतंकी गतिविधियों का शिकार हो रहा है। पिछले 30 जुलाई को अफगानिस्तान सीमा से लगे पाकिस्तान के पख्तूनख्वा प्रांत के आदिवासी जिले में रविवार को भयंकर विस्फोट हुआ जिसमें कम से कम 50 लोग मारे गए तथा 200 से ज्यादा लोग घायल हुए।
आतंकियों ने कट्टरपंथी राजनीतिक दल जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल की रैली को निशाना बनाया था। उक्त रैली के दौरान पार्टी सुप्रीमो मौलाना फजलुर रहमान उपस्थित नहीं थे। उस हमले में पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं की भी मौत हो गई। पाकिस्तान के नेताओं ने इस घटना को मानवता पर हमला बताया। खैबर फख्तूनख्वा प्रांत का बाजौर जिला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गढ़ रहा है। इस क्षेत्र में स्थानीय इस्लामिक संगठनों का वर्चस्व है। ऐसी खबर है कि इस घटना को आईएस ने अंजाम दिया है। यह सबको मालूम है कि टीटीपी लगातार पाकिस्तान को निशाना बना रहा है। पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान में तीन बड़ी आतंकी घटनाएं हुई थी। पिछले वर्ष पाकिस्तान में लगभग 300 आतंकी घटनाएं हुई थीं। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के बाद पाकिस्तान को लग रहा था कि अब वह तालिबान से मिलकर भारत में आतंकी घटनाओं में तेजी लाएगा। लेकिन टीटीपी ने जिस तरह से अपनी स्थिति मजबूत की है उससे निपटना पाकिस्तान को भारी पड़ रहा है।
ऐसी खबर है कि पाकिस्तान में शरीयत लागू कराने के लिए टीटीपी ने अलकायदा से हाथ मिला लिया है। टीटीपी को सत्ताधारी तालिबान अफगान का भी समर्थन मिल रहा है। अफगान की तालिबानी सरकार पाक से लगी वर्तमान सीमा को भी मानने से इनकार कर रही है। पिछले 30 जुलाई को उस वक्त आत्मघाती विस्फोट हुआ जब चीन के उप-प्रधानमंत्री पाकिस्तान में थे। आतंकियों ने एक तरह से चीन एवं दूसरे देशों को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पाकिस्तान में निवेश के लिए उचित वातावरण नहीं है। चीन पाकिस्तान में अपने सी-पैक योजना के तहत भारी निवेश किया हुआ है।
चीन के उप-प्रधानमंत्री के पाकिस्तान दौरे पर इसको आगे बढ़ाने पर सहमति बनी है। आॢथक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान में बढ़ती ङ्क्षहसात्मक घटनाएं और परेशानी बढ़ाने वाली है। अपनी अर्थ-व्यवस्था को बचाने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ दुनिया भर से भीख मांग रहे हैं। कोई भी देश उन्हें दान देने को तैयार नहीं है। उस स्थिति में बढ़ती हिसात्मक घटनाएं और चिंता बढ़ा रही है। तालिबानी सरकार का समर्थन मिलने से टीटीपी उत्साहित है। पाक में चुनाव भी होने वाले हैं। गृहयुद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए पाकिस्तानी सरकार पर चौतरफा दबाव बढ़ रहा है। वहां शासन की असली कमान सेना के हाथ में है। शहबाज सरकार सेना के इशारे पर काम कर रही है। भारत के लिए पीओके वापस लेने का सही समय आ गया है। पीओके की जनता भी अब खुलकर भारत के समर्थन में आ चुकी है। अफगान सीमा पर भी पाकिस्तान की चुनौती बढ़ रही है। भारत को इस पूरे मामले में सतर्क रहने की जरुरत है। सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता है।