रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगलवार को चीन पहुंचे जहां वह अपने इस वक्त के सबसे करीबी सहयोगी शी जिनपिंग के साथ असीमित साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बात करेंगे। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद चीन ने व्यापार और कूटनीति दोनों ही क्षेत्रों में रूस का साथ दिया है। मंगलवार को रूसी राष्ट्रपति बीजिंग के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरे। इस साल उनकी पूर्व सोवियत संघ के बाहर यह पहली यात्रा है। हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने मार्च में पुतिन के खिलाफ वारंट जारी किया था। यूक्रेन से बच्चों को निर्वासित करने के मामले में जारी इस वारंट के बाद पुतिन ने कई विदेश यात्राएं टाली हैं। उन्होंने सिर्फ किर्गिस्तान की यात्रा की है जो पूर्व सोवियत संघ का सदस्य था। इसी महीने की शुरुआत में पुतिन किर्गिस्तान गए थे। यहां तक कि वह जी-20 सम्मेलन के लिए भारत भी नहीं आए थे। आईसीसी के वारंट के कारण 123 सदस्य देशों की बाध्यता है कि अगर पुतिन उनके यहां आएं तो वे उन्हें गिरफ्तार करें और मुकदमे के लिए द हेग भेजें, लेकिन चीन और किर्गिस्तान आईसीसी के सदस्य नहीं हैं। आईसीसी को युद्ध अपराधों के निपटारे के लिए स्थापित किया गया था। आईसीसी का वारंट जारी होने के कुछ ही दिन बाद चीन के राष्ट्रपति शी ने मॉस्को का दौरा किया था, तब शी ने पुतिन को बीजिंग में बेल्ट एंड रोड फोरम में शामिल होने का न्यौता दिया था।
बुधवार को बीजिंग में दोनों नेताओं की मुलाकात होगी। पुतिन तीसरी बार इस फोरम में शामिल हो रहे हैं। वह 2017 और 2019 में भी बेल्ट एंड रोड फोरम में शामिल हो चुके हैं। चीन और रूस के संबंधों को लेकर पश्चिमी देश काफी तीखे तेवरों में बात करते रहे हैं क्योंकि उनकी मांग है कि चीन यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस की आलोचना करे और उसका साथ ना दे, लेकिन चीन इस आलोचना को यह कहते हुए खारिज करता रहा है कि उसे किसी भी देश के साथ व्यापार या कूटनीतिक सहयोग का अधिकार है। पिछली बार पुतिन फरवरी 2022 में बीजिंग गए थे। तब वह शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे, उसी वक्त दोनों नेताओं ने चीन-रूस दोस्ती को ‘असीमित साझेदारी’ बताया था। इस ऐलान के कुछ ही दिन बाद रूसी फौजों ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया था। यह सम्मेलन चीन के बहुचर्चित बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय बैठक है। बीआरआई को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक दशक पहले शुरू किया था, जिसका मकसद एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों में ऊर्जा और सुविधा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना और जल व थल मार्गों से जोड़ना है। व्लादिमीर पुतिन ने बीआरआई को अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के एक मंच के रूप में सराहा है। अपनी बीजिंग यात्रा से पहले मॉस्को में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि मेरी राय में चीन की ओर से प्रस्तावित इस सहयोग का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि सहयोग के इस दायरे में कोई किसी पर कुछ थोपता नहीं है।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग का बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव इस मायने में अन्य देशों की ओर से शुरू की जा रही परियोजनाओं से अलग है क्योंकि उनका स्वभाव साम्राज्यवादी है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से रूस और चीन के व्यापारिक संबंध कहीं ज्यादा मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच आर्थिक और ऊर्जा सहयोग बढ़ा है। अब रूस रोजाना करीब 20 लाख बैरल तेल चीन को निर्यात कर रहा है, जो उसके कुल उत्पादन के एक तिहाई से भी ज्यादा है। मॉस्को चीन तक एक और प्राकृृतिक गैस पाइपलाइन बनाने पर भी काम कर रहा है। पुतिन के साथ जो लोग चीन की यात्रा पर गए हैं उनमें रूस के सरकारी तेल और गैस कंपनियों रोसनेफ्ट और गजप्रोम के अधिकारी भी हैं। हालांकि कोई नया समझौता होने की संभावना नहीं है क्योंकि रूस के मुताबिक यह एक पूर्ण द्विपक्षीय दौरा नहीं है बल्कि जो भी बैठकें होनी हैं वे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान ही होनी हैं। इजराइल और गाजा के बीच जारी जंग के बीच पुतिन का चीन पहुंचना भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। समझा जाता है कि अप्रत्यक्ष रूप से दोनों बड़े नेता इजराइल और गाजा संकट पर भी बात कर सकते हैं और यहां से कोई बड़ी रणनीति भी बन सकती है, जो इजराइल और हमास के बीच की लड़ाई को प्रभावित कर सकते हैं, परंतु वास्तविकता बुधवार को दोनों नेताओं के मिलन के बाद ही सामने आएगी।