देश के चार राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान अंतिम चरण में पहुंच गया है। मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में मतदान 17 नवंबर को होगा, जबकि राजस्थान में 25 नवंबर को तथा तेलंगाना में 27 नवंबर को होगा। मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में भाजपा तथा कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला चल रहा है। कर्नाटक एवं हिमाचल प्रदेश में मिली जीत के बाद कांग्रेस जोर-शोर से प्रचार में लगी है ताकि उसे फिर से सियासी जमीन हासिल हो सके। भाजपा द्वारा महिला आरक्षण कानून बनाने के बाद विपक्षी पाॢटयां जातिगत सर्वे कराने तथा मतदाताओं को मुफ्त रेवडिय़ां बांटने का लॉलीपोप देकर मतदाताओं को रिझाने में लगी है। मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। भाजपा विपक्ष के सामाजिक न्याय के मुकाबले आर्थिक न्याय को आगे लाकर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को और पांच साल तक आगे बढ़ाने की घोषणा की है। इसके तहत देश के 80 करोड़ गरीब लोगों को प्रतिमाह पांच किलो मुफ्त राशन मिलता रहेगा। भाजपा इसे भूख के विरुद्ध लड़ाई की प्रधानमंत्री और भाजपा की प्रतिबद्धता बता रही है। विधानसभा चुनाव जोर पकडऩे के साथ ही केंद्रीय जांच एजेंसियों ईडी, सीबीआई तथा आयकर विभाग के छापे बढ़ गए हैं एवं जांच में तेजी आ गई है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा समेत राज्य के कुछ अन्य सत्ताधारी नेता ईडी की जांच के चपेट में हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर ईडी ने महादेव ऐप घोटाले में 508 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगा दिया है। इसको लेकर भी भाजपा तथा कांग्रेस आमने-सामने है। 28 विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन बनने के बाद भाजपा की चुनौती बढ़ गई है।

इससे निपटने के लिए भाजपा ने पहले महाराष्ट्र में एनसीपी को तोड़ा, उसके बाद 38 दलों को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल किया। प्रधानमंत्री ने भोपाल की एक सभा में समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाकर सियासी माहौल गर्म कर दिया, किंतु उसके बाद यह मामला लंबित पड़ा है। केंद्र सरकार इस मामले में उत्तराखंड सरकार के फैसले का इंतजार कर रही है। भाजपा ने हिंदुत्व का मुद्दा उठाकर और महिला आरक्षण कानून लाकर मतदाताओं पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है, किंतु विपक्षी दलों ने जातिगत सर्वे का मुद्दा उठाकर भाजपा को पटखनी देने का प्रयास किया है। बिहार सरकार द्वारा जातिगत एवं आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद विपक्षी दलों ने इसे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सियासी मुद्दा बना दिया है। प्रधानमंत्री ने विपक्ष के इस दांव की काट के लिए गरीबों की जाति को ही अपनी पार्टी का जाति बता दिया है।

इससे पहले मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री के जन्मदिन 17 सितंबर को विश्वकर्मा योजना को प्रारंभ किया जिसके तहत बिना किसी जातीय भेदभाव के सभी कुशल कामगारों लोहार, बढ़ई, नाई, कुम्हार आदि को उनके व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए सस्ते ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाने की घोषणा की है। इससे अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने में मदद मिलेगी। विपक्ष द्वारा मुफ्त की रेवड़ीया देने के बाद भाजपा ने भी सशक्तिकरण के नाम पर लोकलुभावन घोषणाओं की झड़ी लगा दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी घोषणाओं को मोदी की गारंटी नाम दिया है। विपक्षी दलों ने चुनाव प्रचार के दौरान ईडी समेत सभी केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को चुनावी मुद्दा बताकर भाजपा पर तीखे हमले किये हैं। कुल मिलाकर पांच राज्यों का विधानसभा चुनाव वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पक्ष-विपक्ष को अपनी औकात जानने का मौका देगा।