आज पूरी दुनिया बारूद के ढेर पर खड़ी हुई है और ऐसा नजर आता है कि विश्व में हर तरफ आग, बारूद और युद्ध का साया मंडरा रहा है। वास्तव में यह मानवता पर एक बड़ा खतरा है। दोनों कट्टरपंथी देशों ईरान और इजरायल में आपसी तनातनी के साथ ही अब विश्व में तीसरे विश्व युद्ध की आहट शुरू हो गई है। हाल ही में 13 जून 2025 को इजरायल ने ईरान पर एक बड़े सैन्य ऑपरेशन 'राइजिंग लॉयन के तहत हवाई हमला किया। गौरतलब है कि ऑपरेशन राइजिंग लॉयन में दर्जनों इजरायली लड़ाकू विमानों ने ईरान के परमाणु ठिकानों, मिसाइल कारखानों और टॉप सैन्य कर्मियों को निशाना बनाया। जानकारी के अनुसार इस हमले में ईरान के छह शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों सहित कई सैन्य कमांडर मारे गए। दूसरी तरफ, ईरान ने भी एक नई सैन्य रणनीति अपनाते हुए सीरिया और इराक में मौजूद इजरायली ठिकानों को टारगेट किया है। ईरानी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरानी ड्रोन और मिसाइलों ने गुप्त सैन्य अड्डों को निशाना बनाया, जिनमें से कुछ पर भारी क्षति की पुष्टि हुई है। ईरान-इजरायल के एक-दूसरे पर हमलों से पश्चिम एशिया में संघर्ष का एक और मोर्चा खुल गया है। मध्य-पूर्व में हालात बहुत गंभीर होते जा रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय यूनियन, ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। इजरायल के भीतर भी सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर यह युद्ध जारी रहा तो यह फुल-स्केल रीजनल वॉर में बदल सकता है। कहा जा रहा है कि ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के प्रविधानों का उल्लंघन किया है। ईरान यूरेनियम का शोधन कम करने के लिए तैयार नहीं है। यह माना जा रहा है कि इजरायल इन हमलों के जरिए ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करना चाहता है, जिससे उसे परमाणु हथियार बनाने से रोका जा सके। नतांज स्थित परमाणु संयंत्र को विशेष रूप से निशाना बनाया गया, क्योंकि यह ईरान के परमाणु कार्यक्रम का केंद्र है। हालांकि, ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की बात से इनकार किया है और इजरायल पर आक्रमण और तोड़फोड़ का आरोप लगाया है। ईरान ने हिजबुल्लाह और हमास जैसे आतंकी गुटों के जरिए गहरा रीजनल नेटवर्क तैयार किया और इन गुटों को इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मानता है। बहरहाल, यह बात कही जा रही है कि ईरान का परमाणु हथियार हासिल करने का कार्यक्रम अब अपने निर्णायक और अंतिम दौर में पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र की परमाणु संवर्धन पर निगरानी रखने वाली एजेंसी ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में यह बात कही है कि ईरान के पास 408 किलो यूरेनियम का ऐसा भंडार है, जो कि 60 फीसदी तक संवर्धित है। वहीं, 133 किलो यूरेनियम 50' तक संवर्धित है। यहां यह गौरतलब है कि परमाणु हथियार बनाने के लिए यूरेनियम के 90' संवर्धन की जरूरत होती है। वहीं नेतन्याहू का यह दावा है कि इस वक्त ईरान के पास जितना संवर्धित यूरेनियम है, वो नौ परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त है। वास्तव में यह कहा जा रहा है कि इसमें से एक-तिहाई का उत्पादन पिछले तीन महीने में ही किया गया। नेतन्याहू ने ईरान पर आरोप लगाया कि वह वैश्विक चेतावनियों को नजरअंदाज करके अपने परमाणु हथियार कार्यक्रम को आगे बढ़ा रहा है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का यह साफ कहना है कि इस अभियान को शुरू करने का मकसद ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रमों से पैदा हो रहे खतरे को खत्म करना है। दोनों देशों के बीच युद्ध को थामने के लिए अब अंतर्राष्ट्रीय अपीलें शुरू हो चुकी हैं और ब्रिटेन के साथ ही भारत ने भी शांति की मांग की है। दरअसल, भारत दोनों ही देशों ईरान और इजरायल का मित्र राष्ट्र है। भारत दोनों देशों के बीच हुए इस टकराव को लेकर 'बेहद चिंतित है और उसने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है और भारत इन दोनों के बीच तनाव कम करने के लिए हरसंभव प्रयास भी कर रहा है। बहरहाल, दोनों देशों के बीच तनाव के कारण कहीं न कहीं भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ा है। दरअसल, ईरानी एयरस्पेस के बंद हो जाने के कारण भारत की अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर इसका प्रभाव पड़ा है। जानकारी के अनुसार दिल्ली से यूरोप और अमरीका की उड़ानों को अब वैकल्पिक रूटों से होकर जाना पड़ रहा है। एयर इंडिया और इंडिगो जैसी कंपनियों को अपनी 16 फ्लाइटों के मार्ग बदलने पड़े हैं। इससे यात्रा का समय बढ़ने के साथ-साथ संचालन खर्च में भी वृद्धि हुई है। यह बहुत ही दुखद है कि दोनों देशों के बीच 'जहन्नुम बना देंगे वर्सेज जला देंगे तेहरान जैसी डायलॉगबाजी हो रही है और इधर अमरीका 'डील-डील का खेल, खेल रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी दोनों देशों के बीच घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने टुथ सोशल पर यह पोस्ट कर ईरान को चेतावनी दी है कि यदि उसने अब भी परमाणु समझौते की ओर कदम नहीं उठाया तो 'कुछ भी नहीं बचेगा। उन्होंने आगे कहा कि 'अमरीका और इजरायल मिलकर आगे और भी क्रूर हमले कर सकते हैं। वास्तव में उनका यह बयान अंतर्राष्ट्रीय तनाव को और बढ़ाने वाला साबित हो सकता है। व्हाइट हाउस ने इशारा किया है कि अगर हमला परमाणु सुविधाओं तक सीमित नहीं रहता, तो अमरीका 'डायरेक्ट इन्वॉल्वमेंट की योजना बना सकता है। बहरहाल, इस संघर्ष का सबसे ज्यादा असर आम नागरिकों और क्षेत्रीय व्यापार पर पड़ा है। तेल की कीमतों में भारी उछाल देखा गया है, जिससे वैश्विक बाजारों में चिंता है। दोनों देशों के बीच शांति को लेकर ईरान की राजधानी तेहरान और इजरायल के तेल अवीव में हजारों लोगों ने प्रदर्शन भी किए हैं। बहरहाल, इन घटनाओं ने एक बार फिर यह सवाल खड़े कर दिये हैं कि क्या हम 21वीं सदी में विकास की ओर बढ़ रहे हैं या विनाश की ओर? आज संपूर्ण विश्व विनाश के मुहाने पर खड़ा हुआ है। जिधर देखो उधर संघर्ष और युद्ध की आग फैली हुई है। कोई हथियारों की अंधी दौड़ में लगा है तो कोई अपनी विस्तारवादी नीतियों को अंजाम देने में लगा हुआ है। युद्ध किसी भी देश को बहुत साल पीछे धकेल देते हैं और विनाश को जन्म देते हैं। आज विश्व में पहले से ही बहुत सी समस्याएं मौजूद हैं, जिनका विश्व लगातार सामना कर रहा है। मसलन, आज संपूर्ण विश्व ग्लोबल वार्मिंग, भुखमरी (खाद्य असुरक्षा), गरीबी, आर्थिक अस्थिरता, महंगाई और बेरोजगारी जैसी अनेक समस्याओं से जूझ रहा है। आज का युग विज्ञान और तकनीक का युग है और विज्ञान एवं तकनीक का उपयोग जीवन बचाने और जीवन सुधारने में होना चाहिए, न कि उसे नष्ट करने में। वास्तव में संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक मंचों को अधिक प्रभावी और निष्पक्ष भूमिका निभानी चाहिए। आज के समय में वैश्विक शांति बहुत ही जरूरी है। शांति और संयम से ही दुनिया में सबकुछ संभव हो सकता है। अंत में यही कहूंगा कि युद्ध या हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।