पूर्वांचल प्रहरी संवाददाता
गोसाईंगांवः गोसाईंगांव महकमा के 1 नंबर माजेर डावरी गांव में संकोष नदी के भू-कटाव को रोकने की योजना अब जल संसाधन विभाग के लिए सोने का अंडे देने वाली मुर्गी बन चुकी है। स्थानीय लोगों के मुताबिक संकोष नदी के भू-कटाव से 1 नंबर माजेर डावरी गांव के लोग आतंकित होने के साथ अनिश्चितता में जी रहे हैं। गांव में भूू-कटाव का प्रकोप बढ़ने पर तत्काल रूप से कृषि जमीन की सुरक्षा के खातिर स्थानीय लोगों ने संकोष नदी पर तटबंध निर्माण की मांग की गई थी। इसके तहत जल संसाधन विभाग ने बांध के निर्माण का काम शुरू किया था। लेकिन बांध का काम आधा-अधूरा छोड़ दिया गया। इसको लेकर लोगों में रोष व्याप्त है। स्थानीय लोगों के आरोप के मुताबिक 1 नंबर माजेर डाबरी गांव में भू-कटाव रोकने के लिए 40 लाख रुपए का पार्कूपाइन के बांध का काम सिर्फ 3 लाख रुपए में खत्म कर दिया गया। गोसाईंगांव के 1 नंबर माजेर डाबरी गांव में संकोष नदी के भू-कटाव से गांव के लोगों की सैकड़ों बीघा जमीन नदी में समा गई। परिणामतः विभाग ने पार्कूपाइन बांध के निर्माण के जरिए भू-कटाव रोकने की योजना बनाई। इस योजना से लोगों में उम्मीद की किरण दिखाई दी थी। लेकिन ठेकेदार, विभागीय कुछ अधिकारियों की मनमानी से यह बांध अब तक पूरा नहीं हो पाया। इस मामले में ठेकेदार व विभागीय अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। उधर पार्कूपाइन के बांध से अपनी जमीन बचने की उम्मीद लगा बैठे लोग अब अनिश्चितता में जी रहे हैं। उधर पार्कूपाइन के बांध के निर्माण की शुरुआती दौर में वहां काफी अनियमितता देखकर स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था। लोगों के मुताबिक उस पार्कूपाइन बांध के लिए कुल 40 लाख रुपए की धनराशि आवंटित की गई थी, लेकिन काम की जिम्मेदारी प्राप्त ठेकेदार ने सिर्फ डेढ़-दो सौ मीटर तक पार्कूपाइन का काम कर समाप्त कर दिया। स्थानीय जागरूक लोगों ने इस मामले की उचित जांच की मांग की है।