मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दुबारा उत्तर प्रदेश की सत्ता  पर काबिज हुए हैं। पिछले 37 वर्षों में पहली बार कोई मुख्यमंत्री दुबारा सत्ता में लौटा है। भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण को ऐतिहासिक बनाकर शक्ति प्रदर्शन का मौका हाथ से जाने नहीं दिया है। लखनऊ के इकाना क्रिकेट स्टेडियम में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा भाजपा शासित राज्यों के 12 मुख्यमंत्रियों एवं पांच राज्यों के उप-मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया था। इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए जोरदार तैयारी की गई थी। मुख्यमंत्री योगी के अलावा 52 मंत्रियों ने पद एवं गोपनीयता की शपथ ली, जिसमें 18 कैबिनेट मंत्री शामिल हैं। इस बार भी दो उप-मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। चुनाव में हार के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को दुबारा उप-मुख्यमंत्री बनाया गया है, जबकि डॉ.दिनेश शर्मा की जगह बृजेश पाठक को उप-मुख्यमंत्री नियुक्त गया है। योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में डॉ. दिनेश शर्मा के साथ ही श्रीकांत शर्मा, सिद्धनाथ सिंह, आशुतोष टंडन, मोहसिन रजा, महेन्द्र सिंह सहित कुल 24 पूर्व मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है। सुरेश खन्ना एवं सूर्य प्रताप शाही जैसे पुराने चेहरों को फिर तरजीह दी गई है। इस बार के मंत्रिमंडल में दानिश आजाद, जसवंत सैनी, दयाशंकर मिश्र दयालु, जेपीएस राठौड़ एवं नरेन्द्र कश्यप  को जगह दी गई है, जो विधानसभा एवं विधान परिषद में से किसी के भी सदस्य नहीं हैं। मंत्रिमंडल में अनुभवी एवं युवा चेहरों को शामिल कर संतुलन बनाया गया है। इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने बड़ी चुनौती है। उनके सामने वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन का एजेंडा भी है। मालूम हो कि इस बार के चुनाव में भाजपा को पिछले चुनाव के मुकाबले कम सीटें मिली हैं। शपथ ग्रहण के साथ ही मुख्यमंत्री ने आगामी तीन महीनों के लिए उत्तर प्रदेश में मुफ्त राशन योजना को जारी रखने का निर्णय लिया है। इसके अलावा सरकार के सामने छुट्टा जानवरों पर अंकुश लगाना सबसे बड़ी समस्या है। उत्तर प्रदेश में गो-हत्या पर रोक लगाने के कारण छुट्टा जानवरों की संख्या ज्यादा हो गई। इससे किसानों के सामने समस्या पैदा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी ने चुनाव के दौरान यह वादा किया था कि उनकी सरकार आने के बाद इस समस्या का हल करेंगे। दूसरी बड़ी समस्या सरकारी भर्तियों को नियमित करना तथा किसानों को सस्ती बिजली एवं पानी मुहैया कराना है।  योगी को गड्ढामुक्त्त सडक़ बनाने के अपने वादे को पूरा करना है। कोरोना काल के दौरान जिस तरह उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा लचर हो गई थी उसके देखते हुए  उसमें सुधार करना तथा महंगाई को काबू पाना पहली प्राथमिकता होगी। गठबंधन दलों को संतुष्ट कर सरकार को आगे चलाना होगा, ताकि भविष्य में समस्याएं पैदा नहीं हो। योगी को उपरोक्त कसौटीपर खड़ा उतरना होगा।