प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा से भारत-नेपाल संबंधों में प्रगाढ़ता आई है। मोदी 16 मई को नेपाल की एकदिवसीय यात्रा पर थे। उन्होंने गौतम बुद्ध की जयंती के दिन नेपाल की यात्रा कर दोनों देशों की साझी विरासत, संस्कृृति एवं आस्था को मजबूती देने का प्रयास किया है। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये तीनों चीजें संबंधों को मजबूत करने की दिशा में पूंजी है। मोदी ने बुद्ध की जन्म स्थली लुंबिनी में बनने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र एवं ध्यान कक्ष की आधारशिला भी रखी। यह भवन भारत द्वारा बनवाया जा रहा है। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के प्रति आस्था दोनों देशों को एक सूत्र में बांधने में मदद करेगी। यह सबको मालूम है कि पिछले कुछ वर्षों से भारत और नेपाल के संबंधों में काफी कटुता आ गई थी। केपी शर्मा ओली सरकार के शासन में नेपाल चीन की गोद में जा बैठा था। काठमांडू के सारे फैसले चीन के इशारे पर लिए जा रहे थे। चीन नेपाल को भारत से दूर करने के लिए हरसंभव कदम उठाने से परहेज नहीं कर रहा था। लेकिन नेपाल के चीन के कर्ज जाल में फंसने के बाद वहां की जनता ने विरोध शुरू कर दिया था। नेपाल में शेर बहादुर देउबा के नेतृत्व में नेपाली कांग्रेस की सरकार बनने के बाद बिगड़े संबंध फिर से पटरी पर आने लगे हैं। पिछले महीने ही नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा ने भारत की यात्रा की थी। प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2014 से अब तक नेपाल की पांच बार यात्रा कर चुके हैं। मोदी और देउबा के बीच हुए द्विपक्षीय बैठक के दौरान आपसी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई तथा छह समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। वार्ता के दौरान सांस्कृृति क्षेत्र में संबंधों को मजबूत बनाने, शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग एवं पनबिजली क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं पर सहयोग बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही सहयोग के अन्य क्षेत्रों की तलाश भी करने का निर्णय लिया गया। पश्चिमी सेती जल विद्युत परियोजना के लिए नेपाली प्रधानमंत्री ने भारतीय निवेशकों के आमंत्रित किया है। समझौते के तहत लुंबिनी एवं कुशीनगर के बीच सिस्टर सिटी का संबंध विकसित किया जाएगा। मालूम हो कि लुंबिनी एवं कुशीनगर दोनों ही शहर भगवान बुद्ध से जुड़े हुए हैं। भारत ने कुशीनगर हवाई अड्डे को काफी विकसित किया है। अब कुशीनगर में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक आकर भगवान बुद्ध के बारे में जानकारी ले सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा राजनीतिक एवं कुटनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है। दुनिया की नजर इस यात्रा पर लगी हुई थी। धार्मिक कुटनीति के द्वारा मोदी ने चीन को झटका दिया है। मोदी की इस यात्रा के बाद नेपाल अब चीन की तरफ से भारत की ओर खिसकता दिखाई दे रहा है। ऐसी खबर है कि नेपाल ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह अपने महत्वपूर्ण परियोजनाओं को भारत के सहयोग से पूरा करेगा। हर संकट के समय भारत नेपाल की सहायता के लिए तैयार रहता है। लेकिन नेपाल में वामपंथी दलों के शासन के बाद पुराना समीकरण बिगडऩे लगा था। श्रीलंका एवं पाकिस्तान की स्थिति को देखकर अब नेपाल को भी समझ में आ रहा है कि अगर वह चीन के कर्ज जाल में फंसता गया तो उसकी स्थिति भी बदतर हो जाएगी। श्रीलंका के प्रधानमंत्री को इस्तीफा देकर सुरक्षित स्थान पर छिपना पड़ा है। देउबा ने फिर से भारत को तरजीह देकर अच्छा काम किया है। पहले से ही नेपाली कांग्रेस तथा भारत के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंधों में एक बार पुन: स्वर्णिम शुरूआत हुई है। नेपाल से बेहतर संबंध सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।