रूस-यूक्रेन युद्ध लंबा खींचने के कारण दुनिया में भुखमरी की समस्या पैदा हो सकती है। अभी से कई देश इस समस्या से रू-ब-रू- हो रहे हैं। रूस-यूक्रेन विश्व को लगभग एक-चौथाई गेहूं का निर्यात करता है। युद्ध एवं प्रतिबंध के कारण गेहूं का निर्यात बंद हो गया है। इसके अलावा अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा भी गेहूं का निर्यात करते हैं। रूस के बाद भारत में सबसे ज्यादा गेहूं का उत्पादन होता है, जो कुल उत्पादन का 13.5 प्रतिशत है। गेहूं की कमी को पूरा करने के लिए विश्व समुदाय भारत की ओर देख रहा है। भारत ने माहौल को देखते हुए दुनिया के कई देशों को गेहूं का निर्यात किया है। गर्मी एवं लू के कारण भारत में भी गेहूं की फसल प्रभावित होने की आशंका है। साथ में केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा के तहत नि:शुल्क या रियायत दर पर राज्यों को गेहूं देना पड़ रहा है। अपनी जरूरत को ध्यान में रख कर सरकार ने गेहूं के निर्यात को बंद किया है। इसको लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है। जी-7 के देशों ने अपनी बैठक में भारत के इस कदम की आलोचना की है। उनका कहना है कि भारत को गेहूं का निर्यात बंद नहीं करना चाहिए। लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि जी-7 के देशों ने अपने यहां से निर्यात को कम किया है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने तो पश्चिमी देशों पर गेहूं की जमाखोरी करने का आरोप लगाया है। चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने तो गेहूं निर्यात को लेकर सीधे अमरीका एवं पश्चिमी देशों को कठघरे में खड़ा कर दिया है। ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि अमरीका सहित दूसरे गेहूं निर्यातक देशों को पहले अपने गिराबां में झांक कर देखना चाहिए। चीन ने कहा है कि पहले से ही भारत का गेहूं निर्यात दो प्रतिशत के आसपास है। भारत का कहना है कि वह जरूरत के हिसाब से कमजोर एवं विकासशील देशों को गेहूं का निर्यात करेगा। भारत ने भी निर्यात के कारण गेहूं की कीमतों में अचानक तेजी आ गई है। इसका उदाहरण यह है कि पंजाब सहित गेहूं उत्पादक राज्यों में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा गेहूं की कीमत मिल रही है। एमएसपी पर बेचने के लिए किसानों को मंडियों में कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता था। किंतु निर्यात बढऩे के बाद व्यापारी खुद किसानों के घर जाकर एमएसपी से ज्यादा कीमत पर गेहूं खरीद रहे हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि भारत सरकार ने 440 लाख टन गेहूं खरीदने का जो लक्ष्य रखा था उसमें अभी तक केवल 300 लाख टन की हो पाई है। आगामी जून में जी-7 के प्रमुखों की बैठक होने वाली है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया गया है। इस बैठक में गेहूं निर्यात के मुद्दे पर चर्चा होगी। कुल मिलाकर दुनिया में भुखमरी की स्थिति बन रही है। भारत नि:स्वार्थ भाव से दुनिया को सहयोग देने के लिए तैयार है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि पश्चिमी देश अपने हितों का ठीक ध्यान दे रहे हैं किंतु भारत को उपदेश देने से पीछे नहीं हट रहे हैं। भारत को अपने राष्ट्रहित को देखने का पूरा अधिकार है।
भुखमरी की समस्या
