आस्ट्रेलिया में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की कुर्सी चली गई है। इसका मतलब है कि लेबर पार्टी के नेता एंथनी अल्बनीज ऑस्ट्रेलिया के अगले प्रधानमंत्री होंगे। लगभग एक दशक बाद लिबरल पार्टी की सत्ता से विदाई हो रही है। लेबर पार्टी ने चुनाव जीतने पर बच्चों तथा बुजुर्गों की देखभाल पर अधिक खर्च करने का वादा किया है। उन्होंने महामारी के कारण ऑस्ट्रेलिया का घाटा बढ़ने पर बेहतर आर्थिक प्रबंधन का वादा किया है,वहीं मॉरिसन ने कहा था कि फिर से निर्वाचित होने पर उनकी सरकार करों में कमी लाएगी और साथ ही ब्याज दरों पर दबाव भी कम करेगी। कोरोना के कारण ऑस्ट्रेलिया के 1.7 करोड़ मतदाताओं में से 48 प्रतिशत से अधिक ने पहले ही मतदान कर दिया या डाक मतपत्रों के लिए आवेदन किया था। वयस्क नागरिकों के लिए मतदान अनिवार्य है और पिछले चुनावों में 92 प्रतिशत पंजीकृत मतदाताओं ने मतदान किया था। मॉरिसन लिबरल पार्टी के नेता हैं, जिन्होंने अगस्त 2018 में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी। इस चुनाव में कई निर्दलीय उम्मीदवारों ने बड़े नेताओं को हराया है। ज्यादातर निर्दलीय जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर चुनाव लड़े थे और उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान जोर देकर कहा था कि वे सरकार को जलवायु परिवर्तन पर नीतियों में जरूरी बदलाव करने को मजबूर करेंगे। उल्लेखनीय है कि यहां हर पार्टी ने भारतीय मूल के मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए बड़े ऐलान किए,लेकिन भारतीय मूल के उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के ज्यादातर उम्मीदवार चुनाव हार गए, इनमें डेव शर्मा भी शामिल हैं, जो पिछली बार चुनाव जीते थे। सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के सदस्य डेव शर्मा वेंटवर्थ सीट से मैदान में थे और इस सीट से चुनाव हारने वाले वह पहले मौजूदा सांसद बन गए। भारतीय मूल के उम्मीदवारों को अक्सर उन्हीं सीटों पर टिकट मिलता है, जहां से पार्टियों का हारना तय माना जाता है। इसलिए भी भारतीय मूल के उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाते हैं और यही स्थिति कमोबेश इस चुनाव में भी बनी रही। हालांकि, इस बार भारतीय मूल के रिकॉर्ड 25 से ज्यादा लोग चुनाव मैदान में थे, लेकिन किसी को भी जीत नसीब नहीं हुई। ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे लेबर नेता एंथनी अल्बानीजी ने 2019 में पार्टी की कमान तब संभाली थी,जब लेबर पार्टी लगातार दूसरा चुनाव हार गई थी। राजनीति में पिछले चार दशक से सक्रिय एंथनी अल्बानीजी दो दशक से सांसद हैं। वह दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं और 2013 में एक बार उप प्रधानमंत्री भी नियुक्त किए गए थे। सिडनी में जन्मे अल्बानीजी का बचपन गरीब परिवार में गुजरा। उन्हें एक सिंगल मदर ने सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए घर में बड़ा किया और लेबर यूनियन के बीच उनकी मजबूत पकड़ रही है। अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने वाले अल्बानीजी ने पढ़ाई के वक्त से ही राजनीति में दिलचस्पी ली और वह लेबर पार्टी के वाम धड़े में सक्रिय रहे। अपने प्रचार में अल्बानीजी जो बड़े वादे किए हैं, उनमें महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रतिनिधित्व, लोगों के लिए सस्ता चाइल्डकेयर, मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था और बुजुर्गों के लिए बेहतर देखभाल जैसी बातें प्रमुख हैं। बतौर प्रधानमंत्री उनके सामने जो बड़ी चुनौतियां होंगी, उनमें चीन के साथ खराब होते रिश्ते, बढ़ती महंगाई और कोविड के बाद अर्थव्यवस्था को घाटे से बाहर लाना शामिल है। निवर्तमान प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन भारत के प्रति विशेष लगाव रखते हैं।
सत्ता परिवर्तन
