कर्नाटक विधानसभा चुनाव का परिणाम आ चुका है। इस चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की है, इसमें कोई संदेह नहीं कि दक्षिणी भारत के इस राज्य का परिणाम अगले साल के लोकसभा चुनाव पर असर डालेगा। भाजपा इस हार के बाद दक्षिण के सभी राज्यों की सत्ता से विदा हो चुकी है।  उल्लेखनीय है कि जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने नतीजों से पहले भविष्यवाणी की कि भाजपा बड़े अंतर से चुनाव हार जाएगी। उन्होंने आगे कहा था कि आने वाले दिनों में भाजपा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हार जाएगी।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक लोकसभा में 28 सदस्यों को भेजता है, ऐसे में इस राज्य को खोना भाजपा के लिए एक झटका होगा। इस चुनाव को हारने के बाद साल 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें कर्नाटक में घट सकती हैं। कर्नाटक में करारी हार के बाद बीजेपी के भीतर गुटबाजी और ज्यादा बढ़ेगी,जिसका नुकसान लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। कर्नाटक में भाजपा के पास 25 सीटें हैं। कर्नाटक में हार की वजह से दक्षिण का मिशन कमजोर होगा। दक्षिण भारत में लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं, इनमें से भाजपा के पास अभी सिर्फ 29 सीटें हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में कर्नाटक को भाजपा के लिए सबसे मजबूत राज्य माना जाता है। यहां पर बीजेपी पहले भी कई बार सरकार बना चुकी है और अभी भी राज्य की सत्ता में है।

अगले साल 2024 लोकसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अगर बीजेपी कर्नाटक विधानसभा चुनाव हार जाती है तो उसके लिए दक्षिण भारत के अन्य राज्य- तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में जीत हासिल करना बड़ी चुनौती होगी, जिसका सीधा असर 2024 लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है। बता दें कि दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और पुड्डूचेरी में मिलाकर लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी के पास फिलहाल 29 सीटें ही हैं,  इसमें से भी 25 सीटें उसे अकेले कर्नाटक से ही मिली है। तेलंगाना से बीजेपी के पास चार सांसद है।  साफ है कि बीजेपी की कर्नाटक में हार से दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में खाता खोलना मुश्किल हो जाएगा। कर्नाटक के भूगोल को देखें तो उत्तर में महाराष्ट्र, उत्तर पश्चिम में गोवा, दक्षिण में केरल, दक्षिण पूर्व में तमिलनाडु, पूर्व में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना है।

कर्नाटक को मिलाकर इन सभी राज्यों की लोकसभा सीटों को मिलाकर कुल 179 सीटें बैठती हैं यानी कर्नाटक विधानसभा में कमल के नहीं खिलने का मतलब ये होगा कि लोकसभा चुनावों की राह में कांटे बीजेपी की राह में कांटे बो दिए गए हैं। दक्षिण के छह राज्यों से 130 लोकसभा सीटें हैं। ये कुल लोकसभा सीटों का तकरीबन 25 फीसदी हैं यानी दक्षिण भारत सियासी तौर पर भी काफी महत्वपूर्ण है। बता दें कि 2019 में बीजेपी को कर्नाटक और तेलंगाना में सीटें मिली थीं,लेकिन साउथ के बाकी राज्यों में पार्टी को सीट नहीं मिली थीं। कर्नाटक के जरिए बीजेपी दक्षिण में अपने पैर पसारना चाहती है,कर्नाटक में झटका लगने से बीजेपी के लिए तेलंगाना और आंध्र प्रदेश सहित दक्षिण के बाकी राज्यों में बड़ा सियासी नुकसान हो सकता है।

तेलंगाना में के. चन्द्रशेखर राव की सरकार को हराने के लिए बीजेपी का कर्नाटक जीतना बहुत जरूरी था। कर्नाटक के साथ ही पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र में भी बीजेपी की सीटें घट सकती हैं। इन राज्यों में हो रहे सीटों के नुकसान की भरपाई के लिए बीजेपी को नए राज्य तलाशने होंगे जो सबसे बड़ी चुनौती होगी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भाजपा को तीसरी बार सत्ता में आने के लिए काफी मेहनती करनी होगी और  उसे ङ्क्षहदीपट्टी के राज्यों के अलावा अन्य राज्यों में भी मेहनत करनी होगी, इसमें कोई दो राय नहीं है।