जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने तथा जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद पाकिस्तान ने इसके खिलाफ दुनिया भर में काफी दुष्प्रचार किया था। पाकिस्तान का कहना था कि भारत जम्मू कश्मीर के लोगों के मूल अधिकारों को छीनकर उनपर अत्याचार कर रहा है। पाक ने कश्मीर में माहौल बिगाडऩे के लिए भी साजिश रचने का काम किया। आतंकी संगठनों को मदद एवं समर्थन देकर जम्मू कश्मीर में ङ्क्षहसात्मक घटनाओं को तेज करने का जिम्मा सौंपा गया ताकि भारत को विश्व में बदनाम किया जा सके। लेकिन मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद वहां के विकास के लिए त्वरित कदम उठाया तथा लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी चाक-चौबंद व्यवस्था की।
आज जम्मू कश्मीर विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब तो वहां दूसरे देशों से भी पूंजी निवेश आना शुरू हो गया है। संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देश भी अब वहां निवेश के लिए आगे आ रहे हैं। मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए जी-20 की पर्यटन कार्य समूह की बैठक आयोजित की है। पिछले 22 मई से 24 मई तक आयोजित इस बैठक में कई प्रस्ताव पारित भी किए गए। पाकिस्तान द्वारा दुष्प्रचार चलाए जाने के बावजूद चीन, साउदी अरब, तुर्की एवं इंडोनेशिया को छोडक़र बाकी सभी देशों के प्रतिनिधियिों ने जी-20 की बैठक में हिस्सा लिया। अमरीका और रूस जैसे दो कट्टर विरोधी देशों के प्रतिनिधियों ने भी इसमें शिरकत की। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने तो जी-20 बैठक से पहले पाक अधिकृृत कश्मीर में जाकर जहरीला बयान दिया तथा दुनिया को भडक़ाने का काम किया। बिलावल ने कहा कि दुनिया को कश्मीर में हो रहे अत्याचार की ओर ध्यान देना चाहिए।
लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि पाक अधिकृृत कश्मीर के लोगों ने भुट्टो को कोई तवज्जों नहीं दिया। चीन के ङ्क्षशजियांग प्रांत में मुस्लिमों के खिलाफ बर्बराता की हद पार हो रही है ङ्क्षकतु पाकिस्तान सहित दूसरे मुस्लिम देशों के जुबान पर ताला लगा हुआ है। आका होने के कारण पाकिस्तान की बोलती चीन के सामने बंद हो जाती है। चीन और पाकिस्तान दोनों ने मिलकर श्रीनगर में आयोजित जी-20 की बैठक को विफल करने का भरसक प्रयास किया, ङ्क्षकतु उनको सफलता नहीं मिली है।
बांग्लादेश, नाइजीरिया, संयुक्त अरब अमीरात जैसे मुस्लिम देश भी इसमें हिस्सा लिया। जम्मू कश्मीर में जी-20 की बैठक कराने से दुनिया के देशों को वास्तविक स्थिति का पता चलेगा। मालूम हो कि यह बैठक वहां की आॢथक विकास एवं इको टूरिज्म को बढ़ावा देने की दिशा में कारगर साबित होगी। जम्मू कश्मीर में पर्यटन के लिए काफी संभवनाएं हैं। कानून एवं व्यवस्था की स्थिति में सुधार होने के साथ-साथ अब ज्यादा पर्यटक भी आने लगे हैं। वहां के लोगों को पर्यटन से काफी आय होती है।
जब पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में अच्छा माहौल देखता है तो वह आतंकियों को भेजकर माहौल खराब करने में लग जाता है। जी-20 बैठक से पहले पाकिस्तान ने स्थिति खराब करने के लिए आतंकियों को प्रोत्साहित किया ङ्क्षकतु वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया। चीन अरुणाचल प्रदेश में जी-20 की बैठक कराने से पहले ही नाराज था। अब वह पाकिस्तान से मिलकर श्रीनगर बैठक को भी कठघरे में खड़ा करना चाहता था। चीन और तुर्की का बैठक में भाग नहीं लेना कोई बड़ी बात नहीं है कि क्योंकि दोनों ही देश इस मुद्दे पर भारत के खिलाफ थे। लेकिन साउथी अरब का जी-20 में शामिल न होना भारत के लिए झटका जरूर है क्योंकि हाल के वर्षों में दोनों देशों का संबंध अच्छे हो गए थे। मिस्र जैसे देश का भी भाग न लेना समझ से परे हैं।
कुल मिलाकर मोदी सरकार को अब भविष्य में साउदी अरब और मिस्र जैसे देशों को सबक सिखाने के लिए निश्चित रूप से कदम उठाना चाहिए। पाकिस्तान आज आॢथक संकट एवं गृह युद्ध से गुजर रहा है। वहां के लोग दाने-दाने के लिए मोहताज हैं। जनता रोजाना की खाद्य सामग्री के लिए सडक़ों पर है ङ्क्षकतु वहां के शासकों को कश्मीर की ङ्क्षचता हो रही है। दिवालिया होने के कगार पर पहुंचे पाकिस्तान को भारत को ङ्क्षचता छोडक़र अपनी ङ्क्षचता करनी चाहिए। उम्मीद है कि जी-20 बैठक से जम्मू कश्मीर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा और ज्यादा पूंजी निवेश होगा, जो राज्य के हित में है।