पश्चिम बंगाल में पिछले आठ जुलाई को हुए पंचायत चुनाव में जमकर ङ्क्षहसा हुई। मतपेटियों के लूटने, पीठासीन अधिकारियों पर हमले तथा फर्जी मतदान की कई घटनाएं हुईं। मतदान के दौरान जगह-जगह पर हुई ङ्क्षहसात्मक घटनाओं में अब तक 19 लोगों के मरने की खबर है। इस ङ्क्षहसा के लिए भाजपा, कांग्रेस तथा वामपंथी पाॢटयां ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहरा रही हैं। दूसरी तरफ ममता बनर्जी का कहना है कि इन घटनाओं के लिए विपक्ष जिम्मेदार है। ममता का आरोप है कि मरने वाले लोगों में 60 प्रतिशत तृणमूल के कार्यकर्ता हैं। इस घटना को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इस घटना के लिए निश्चित रूप से राज्य सरकार जिम्मेवार है। ममता अपनी जिम्मेवारी से भाग नहीं सकती है।
सबसे ज्यादा राज्य के कूचबिहार, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना, मुॢशदाबाद एवं मालदा जिले प्रभावित रहे। सभी पक्षों की सख्ती के बाद पश्चिम बंगाल चुनाव आयोग ने 19 जिलों के 696 बुथों पर आज फिर से मतदान कराया। पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान ङ्क्षहसा कोई नई बात नहीं है। वर्ष 2003 एवं 2008 में वामपंथी सरकार के शासनकाल में भी हुए चुनाव के दौरान क्रमश: 70 एवं 36 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की सत्ता की कब्जा किया, उसके बाद वर्ष 2018 में हुए चुनाव में भी 13 लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2023 में हुए चुनाव का नतीजा सबके सामने है। भाजपा ने इस गड़बड़ी के लिए कमर कस ली है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस मामले को कलकत्ता उच्च न्यायालय तक ले जाने का निर्णय लिया है। भाजपा ने तो पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने तक की मांग कर दी है। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने पंचायत चुनाव में हुई घटनाओं के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली में सौंपा है।
राज्यपाल अभी दिल्ली में हैं। प्रश्न यह उठता है कि पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में अद्धसैनिक बलों की तैनाती के बावजूद इतने बड़े पैमाने पर ङ्क्षहसात्मक घटनाएं क्यों हुईं? विपक्ष का आरोप है कि राज्य चुनाव आयोग ने अद्र्धसैनिक बलों को संवेदनशील बुथों के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी। इसका नतीजा यह हुआ कि संवेदनशील क्षेत्रों में अद्र्धसैनिक बलों की ठीक से तैनाती नहीं हो पाई। अगर राज्य प्रशासन सहयोग नहीं करेगा तो ङ्क्षहसा को रोकना संभव नहीं है। लगभग 700 बुथों पर सोमवार को जहां मतदान हुआ है वहां बड़ी घटना होने की खबर नहीं है क्योंकि अद्र्धसैनिक बल पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात हैं। पश्चिम बंगाल में 73 हजार 887 ग्राम पंचायत सीटों में से 64874 सीटों पर मतदान हुए हैं। 9013 सीटों पर पहले ही उम्मीदवार निॢवरोध विजयी घोषित हो चुके हैं। जिसमें सबसे ज्यादा तृणमूल कांग्रेस के 8874 उम्मीदवार हैं। 11 जुलाई को मतगणना होगी, जिसके बाद रिजल्ट घोषित किए जाएंगे।
अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हमेशा से विरोध करती रही हैं। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव तथा 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल ने अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती के खिलाफ थी। इस बार के पंचायक चुनाव में भी कलकत्ता हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती संभव हो पाई। ममता को भय रहता है कि अद्र्धसैनिक बलों की तैनाती से उनकी मनमानी नहीं चल पाएगी। पश्चिम बंगाल के चुनाव ने विपक्षी एकता की बुनियाद को भी कमजोर किया है। कांग्रेस तथा वाम दलों ने जिस तरह इस ङ्क्षहसा के लिए ममता को निशाने पर लिया है उससे विपक्षी एकता को निश्चित रूप से धक्का लगेगा। पश्चिम बंगाल की कड़वाहट राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेगी।